चुकंदर यानी बीटरूट न सिर्फ स्वाद में मीठा होता है, बल्कि सेहत के लिए किसी सुपरफूड से कम नहीं है. इसमें भरपूर मात्रा में आयरन, फोलेट, पोटैशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. यही वजह है कि खून की कमी, कमजोरी या थकान से जूझ रहे लोगों को डॉक्टर भी चुकंदर खाने की सलाह देते हैं.
आजकल लोग अपनी बालकनी या छत पर गमले में ही बीटरूट उगा रहे हैं. खास बात ये है कि यह पौधा ज्यादा जगह नहीं लेता और थोड़ी सी देखभाल में ही 2-3 महीने में तैयार हो जाता है.
बीटरूट के लिए कैसा गमला चुनें?
चुकंदर की जड़ें मोटी और गोल होती हैं, इसलिए इसके लिए कम से कम 12 से 16 इंच गहरा और चौड़ा गमला चुनें. गमला मिट्टी, प्लास्टिक या सिरेमिक किसी भी प्रकार का हो सकता है, लेकिन मिट्टी का गमला सबसे बेहतर माना जाता है क्योंकि इसमें हवा और नमी का संतुलन बना रहता है.
बीटरूट उगाने के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए?
बीटरूट को भुरभुरी, हल्की और जैविक खाद वाली मिट्टी पसंद होती है.
इसकी मिट्टी तैयार करने के लिए 60% गार्डन मिट्टी, 30% गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट और 10% रेत मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें. इसे अच्छे से मिलाकर गमले में भरें. जैविक मिट्टी पौधे को पोषण देती है और फसल जल्दी तैयार होती है.
बीज कैसे लगाएं?
बीटरूट के बीजों को पहले 6-8 घंटे तक गुनगुने पानी में भिगो दें, इससे अंकुरण जल्दी होता है.
बीज को ½ इंच गहराई में और 2-3 इंच की दूरी पर बोएं.
बीज बोने के बाद हल्का पानी छिड़कें.
5-7 दिन में गुलाबी तनों वाले पौधे निकलने लगते हैं.
कमजोर पौधों को हटा दें और स्वस्थ पौधों को बढ़ने दें.
बारिश में गमले में पानी जमा न होने दें, नहीं तो जड़ें सड़ सकती हैं.
हर हफ्ते मिट्टी की हल्की गुड़ाई करें, ताकि ऑक्सीजन मिलती रहे.
गोबर खाद या सरसों की खली डालना सबसे फायदेमंद होता है.
कीट या फंगस दिखे तो नीम तेल या जैविक घरेलू स्प्रे का उपयोग करें.
बीटरूट को कितनी धूप और कितना पानी जरूरी?
बीटरूट को 4-5 घंटे की सीधी धूप मिलनी चाहिए.
पानी तभी दें जब मिट्टी ऊपर से सूखी लगे.
मानसून में ओवरवॉटरिंग से बचें.
बीटरूट की कटाई कब करें?
बीज बोने के 2-3 महीने बाद जब जड़ मोटी और गहरे लाल रंग की दिखने लगे, तो कटाई के लिए तैयार होती है.
कटाई करते समय मिट्टी को हल्का खोदकर धीरे-धीरे जड़ बाहर निकालें ताकि वह टूटे नहीं.
अगर ज्यादा देर छोड़ देंगे, तो बीटरूट का स्वाद कसैला हो सकता है.
चुकंदर के सिर्फ जड़ ही नहीं, उसके पत्ते भी खाए जाते हैं.
इन्हें आप पराठे, सूप या सलाद में इस्तेमाल कर सकते हैं. ये भी शरीर के लिए काफी पोषण देने वाले होते हैं.