आमतौर पर खेतों में खिलने वाले फूलों का उपयोग पूजा-पाठ, सजावट और इवेंट्स तक ही सीमित माना जाता है, लेकिन अब ये सूखे हुए फूल किसानों के लिए कमाई का नया और स्थायी स्रोत बनते जा रहे हैं. देशभर में सूखे फूलों की मांग तेजी से बढ़ रही है और किसानों के लिए यह एक बेहतरीन वैकल्पिक आय का अवसर बन सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो सूखे फूलों का कारोबार किसानों के लिए एक इनोवेटिव और टिकाऊ आय स्रोत बन सकता है. सही ट्रेनिंग, तकनीक और मार्केटिंग की मदद से यह सेक्टर गांवों की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक सकता है. बदलते दौर में फूल अब सिर्फ खूबसूरती का प्रतीक नहीं, बल्कि समृद्धि का जरिया भी बन सकते हैं.
सूखे फूल यानी 'ड्राई फ्लावर्स' उन फूलों को कहते हैं जिन्हें प्राकृतिक तरीके से या मशीनों की मदद से सुखाकर लंबे समय तक के लिए संरक्षित किया जाता है. इन फूलों का उपयोग होम डेकोर, ग्रीटिंग कार्ड, पोटपौरी, हैंडमेड गिफ्ट्स, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, अरोमा थेरेपी, और यहां तक कि ऑर्गेनिक रंगों और हर्बल चाय के लिए भी किया जाता है. भारत में सूखे फूलों का निर्यात कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है. अमेरिका, यूरोप, जापान और खाड़ी देशों में सूखे गुलाब, गेंदा, लैवेंडर और कमल के फूलों की भारी मांग है. आंकड़ों के अनुसार, भारत से हर साल सैकड़ों टन सूखे फूलों का निर्यात होता है, जिससे देश को करोड़ों की आमदनी होती है.
सूखे फूलों की खेती और प्रोसेसिंग पर ज्यादा खर्च नहीं आता. एक बार फसल लगाकर यदि फूलों को ठीक से सुखा लिया जाए तो इनकी शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है और बाजार में इनकी कीमत भी ताजा फूलों से कहीं अधिक मिलती है. वहीं सूखे फूलों के लिए जरूरी नहीं कि वे ताजगी बनाए रखें. ऐसे में अगर फूल हल्के खराब भी हो जाएं तो उन्हें सुखाकर इस्तेमाल में लाया जा सकता है. साथ ही अगर किसी मौसम में फूलों की बिक्री नहीं हो पा रही है तो उन्हें सुखाकर अगली फसल तक स्टोर किया जा सकता है. इससे किसानों को होने वाले नुकसान को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.
गुलाब, गेंदा, कमल, सूरजमुखी, लैवेंडर, चमेली, और गुलमोहर जैसे फूल सूखने के बाद भी अपनी खुशबू और रंग बनाए रखते हैं, इसलिए इनकी बाजार में अधिक मांग रहती है. अब कई कृषि स्टार्टअप और स्वयं सहायता समूह (SHGs) किसानों को ड्राई फ्लावर प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं. कुछ राज्य सरकारों ने तो फूलों को सुखाने और पैकिंग करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मशीनें भी उपलब्ध करवाई हैं.
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