मॉनसून आते ही देश के ज्यादातर राज्यों के किसान धान की रोपाई शुरू कर देते हैं. वहीं बिहार में भी किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है. दरअसल खरीफ सीजन की सबसे मुख्य फसल धान है. देश में अधिकांश किसान अपने खेतों में धान की फसल की रोपाई यो तो कर चुके हैं या अभी कर रहे हैं. वहीं धान की फसल में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या है. यदि समय पर इसका नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है. खरपतवार पैदावार में कमी के साथ-साथ धान में लगने वाले रोग और कीटों को भी आश्रय देते हैं. धान की फसल में खरपतवार के कारण 15-85 प्रतिशत तक नुकसान होता है, कभी-कभी यह नुकसान 100 प्रतिशत तक पहुंच जाता है.
इसलिए सही समय पर खरपतवार नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है. इसी को देखते हुए बिहार के कृषि विभाग ने किसानों को धान की फसल में लगने वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए एक एडवाइजरी जारी की है.
राज्य में धान की फसल की रोपनी यानी रोपाई शुरू हो गई है. किसान अगर फसल की अच्छी पैदावार चाहते हैं तो पौधे में उगने वाले खरपतवार से होने वाली क्षति से बचें. दरअसल धान की फसल में दो बार निकाई-गुड़ाई करने की आवश्यकता होती है. पहली निकाई-गुडाई, धान की बुवाई के करीब 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए. वहीं दूसरी 40 से 45 दिन बाद करके खरपतवारों को प्रभावी होने से रोकने के लिए करते हैं.
धान की फसल की रोपाई के कुछ दिनों के बाद पौधे के अगल-बगल में कुछ खरपतवार लग जाते हैं जो पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. दरअसल धान की फसल में सावां, दूब, तीन पतियां और मोया जैसी खरपतवार फसलों के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं.
आमतौर पर कई बार धान की फसल में लगने वाले खरपतवारों के निकाई-गुड़ाई के लिए मजदूर नहीं मिलने पर खरपतवारनाशी का उपयोग करते हैं. इसके इस्तेमाल से फसलों में लगने वाले कीटों और घास से छुटकारा मिलता है. आइए जानते हैं किस खरपतवारनाशी का इस्तेमाल करें किसान जिससे उनकी फसलों को खरपतवार से मिलेगा निदान.
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किसानों को अपनी धान की फसल में पेंडीमेथिलीन 30% ई.सी, ब्यूटाक्लोर 50% ई.सी, प्रेटीलाक्लोर 50% ई.सी, ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5% ई.सी, पाइराजोसल्फूरॉन इथाइल 10% डब्लू.पी और बिस्पाइरीबैक 10% एस.सी जैसे खरपतवारनासी का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए, इससे फसलों को काफी फायदा होता है.
बिहार कृषि विभाग की ओर से दी गई एडवाइजरी में ये भी बताया गया है कि अगर आप खरपतवारनाशी का प्रयोग करते हैं तो उसमें किन बातों का रख सकते हैं ध्यान. अगर आप खेत में खरपतवारनाशी का प्रयोग कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि वो अधिक मात्रा में न हो. वहीं इसके इस्तेमाल के समय खेत में नमी रहनी चाहिए. इसका छिड़काव किसान जब हवा शांत और मौसम साफ हो तब करें. ये एडवाइजरी मानकर आप अपनी धान का नुकसान होने से बचा सकते हैं.