रबी फसल सीजन 2022-23 में 107.82 लाख हेक्टेयर में चने की बुवाई हो चुकी है, जबकि इसका सामान्य एरिया 98.86 लाख हेक्टेयर है. अगले सप्ताह तक इसकी बुवाई और बढ़ सकती है. चना जितनी महत्वपूर्ण दलहनी फसल है उतनी ही इसकी देखरेख की जरूरत होती है. पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि चने की फसल में फली छेदक कीट के निगरानी के लिए फीरोमोन @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं, जहां पौधों में 10-15 फीसदी फूल खिल गए हों. कीट आबादी को नियंत्रित करने के लिए फसल क्षेत्र में और उसके आसपास "टी" आकार के पक्षी बसेरा स्थापित किया जाना चाहिए. फेरोमोन ट्रैप एक प्रकार का कीट जाल होता है.
कृषि वैज्ञानिकों ने गोभी की फसल में डायमंड बैक मॉथ, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन @ 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाने की सलाह दी है. फेरोमोन ट्रैप के जरिए मादा कीटों की गंध को एक कैप्शूल में रखा जाता है, जिससे नर कीट आकर्षित होकर किसान के जाल में फंस जाते हैं. इसके जरिए बिना कीटनाशक के आप कीट नियंत्रण कर सकते हैं. यह किसानों के लिए बेहद सस्ता और कारगर हथियार हैं.
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि वर्तमान मौसम की स्थिति में पत्तागोभी और फूलगोभी आदि की पछेती किस्मों की रोपाई मेड़ों पर की जा सकती है. वर्तमान मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई की जा सकती है. इस वक्त आलू और टमाटर में झुलसा का संक्रमण हो सकता है. इसलिए इन दोनों फसलों की निरंतर निगरानी करते रहें. यदि लक्षण दिखाई दें तो कारबैंडिजम @1.0 ग्राम/लीटर पानी या डाइथेन-एम-45 @ 2.0 ग्राम/लीटर पानी का स्प्रे कर सकते हैं.
वर्तमान मौसम की स्थिति में समय से बोई गई प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण तथा बैंगनी धब्बे के संक्रमण से बचाव के लिए निरंतर निगरानी रखनी चाहिए. साथ ही मटर की फसल में फलियों की उचित वृद्धि के लिए 2 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. अगेती कद्दू वर्गीय फसलों की पौध तैयार करने के लिए पॉली हाउस में छोटे पॉलिथीन बैग में पौध तैयार की जा सकती है.
गेहूं की फसल में दीमक लग सकता है. इसके लक्षण दिखाई देने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 लीटर की दर से 20 किग्रा रेत का मिश्रण करके शाम के समय में देना चाहिए. बाद में सिंचाई करने की सलाह दी जाती है. वर्तमान मौसम में सरसों की फसल में माहू और सफेद रतुआ की लगातार निगरानी करने की सलाह दी जाती है. यह सलाह पूसा की कृषि मौसम सलाहकार समिति ने दी है.
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