केंद्रीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (Grassland) के वैज्ञानिकों ने मवेशियों की दुग्ध उत्पादन क्षमता में इजाफा करने वाले चारे की लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए नई प्रजातियों को विकसित किया है. यूपी और एमपी के बुंदेलखंड इलाके में Fodder Crops की उपज के लिए अनुकूल परिस्थितियां पाई जाती हैं. ऐसे में ग्रसालैंड के वैज्ञानिकों ने इस इलाके में बरसीम और जई की किस्मों को लगातार उन्नत करते हुए मवेशियों के लिए अब तक की सबसे लाभकारी किस्मों को विकसित किया है. प्रायोगिक दौर के बाद इन किस्मों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया गया है. इनकी खूबियों को देखते हुए देश ही नहीं विदेशों में भी इन प्रजातियों की मांग लगातार बढ़ रही है.
ग्रासलैंड की Seed Production Unit के नोडल अफसर डॉ राजीव अग्रवाल के हवाले से संस्थान द्वारा बताया गया कि पशुपालक अपने मवेशियों काे सामान्य तौर पर बरसीम और जई की देसी किस्में खिलाते हैं. संस्थान ने अब इन दोनों चारों की हाइब्रिड किस्में विकसित की हैं. ये किस्में दुधारू पशुओं के लिए Energy Booster साबित हुई हैं.
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डॉ अग्रवाल ने बताया कि इसका प्रयोग ग्रासलैंड के चारागाह में पाली गई भदावरी नस्ल की 140 भैंसों पर किया गया. इसमें सामान्य चारा खाने वाली भैंसों की तुलना में हाइब्रिड बरसीम और जई खाने वाली भैंसाें में फैट की मात्रा 8 फीसदी ज्यादा पाई गई. इसके बाद हाइब्रिड बरसीम और जई किसानों को इस्तेमाल के लिए दी गई. इसके उत्साहजनक परिणाम मिलने पर अब बड़ी कंपनियों ने ग्रासलैंड से हाइब्रिड बरसीम और जई के बीज खरीदने का करार किया है.
ग्रासलैंड की ओर से बताया गया कि हाइब्रिड बरसीम और जई की मांग पशुपालकों और डेयरी कारोबारियों के बीच लगातार बढ़ रही है. इसमें कुछ कंपनियों ने विदेशों से मिल रही मांग को देखते हुए संस्थान के साथ बीज आपूर्ति का करार किया है. इसके तहत गुजरात की कंपनी आलमदार सीड्स और हैदराबाद की फॉरेजिन सीड्स कंपनी है.
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ये कंपनियां ग्रासलैंड से बीज खरीदकर अपने फार्म में इनकी पौध तैयार करके अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और तुर्की सहित अन्य देशों को आपूर्ति करेगी. करार के मुताबिक कंपनियां अपनी पैकेजिंग पर कंपनी के नाम के साथ ग्रासलैंड, झांसी भी प्रकाशित करेंगी. कंपनियों ने ग्रासलैंड से ये Fodder Seed विदेशों में आपूर्ति करने के लिए सरकारी दाम से 20 प्रतिशत अधिक कीमत पर खरीदा है.
इन प्रजातियों को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि इस चारे के प्रभाव के कारण दुधारू मवेशियों की ब्यांत यानी प्रजनन क्षमता में भी इजाफा हुआ है. कुल मिलाकर यह पशुपालकों के लिए मुनाफे का सौदा है, साथ ही मवेशियों के लिए भी सेहत के लिहाज लाभकारी है. डाॅ अग्रवाल ने कहा कि सामान्य बरसीम और जई में सामान्य चारे की तुलना में 15 गुना ज्यादा ज्यादा फूड प्रोटीन होता है. वहीं, हाइब्रिड बरसीम और जई में सामान्य बरसीम की तुलना में 17 गुना ज्यादा फूड प्रोटीन पाया गया है. इसमें फाइबर की मात्रा भी संतुलित स्तर पर होती है.