देश में गेहूं-चावल और दालों को अच्छी तरह से सुराक्षित स्टोर करना एक बड़ी परेशानी है. लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने वाले एफसीआई के गोदामों में भी अनाज खराब होता है. अनाज-दाल कहीं पानी से भीग जाते हैं, तो कहीं उनमे कीड़े या फफूंदी लग जाती है. इसी परेशानी को दूर करने के लिए पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू), लुधियाना एक रिसर्च कर रहा है. हालांकि रिसर्च में एक बड़ा हिस्सा विदेशी बाजार का है, लेकिन अगर यह कामयाब रहती है तो आने वाले वक्त में इसे पूरी तरह से देश में ही विकसित किया जा सकेगा.
हरमेटिक सिस्ट म वाले इस कवर में एक बार अनाज और दालें रखने के बाद उन्हें लम्बे वक्त तक रखा जा सकता है. वक्त की कोई लिमिट नहीं है. अफ्रीका जैसे कई देशों में यह तकनीक बहुत ही कारगर है. हमारे देश में अनाज और दाल तो बड़ी मात्रा में होते हैं, लेकिन स्टोरेज तकनीक अच्छी न होने की वजह से उन्हें लम्बे वक्त तक रखना मुमकिन नहीं हो पाता है.
ये भी पढ़ें- बढ़ रहा है मीट उत्पादन, जानें हर साल कौन से और कितने जानवरों की होती है स्लॉटरिंग
पीएयू के प्रोसेसिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. महेश ने किसान तक को बताया कि हरमेटिक सिस्तम के तहत अभी हम ट्रायल बतौर पांच टन दाल और अनाज स्टोर कर रहे हैं. हरमेटिक सिस्ट म में अनाज की बोरियों को नीचे यानि तले की तरफ से और ऊपर की तरफ से प्लास्टिक का एक खास कवर पहना दिया जाता है. बीच में यह कवर चेन (जिप) से जुड़ा है. जिप भी लगने के बाद प्लास्टियक के कवर से ढक जाती है.
ये भी पढ़ें- Milk Fact : कैसे बनता है पैकेट वाला दूध, क्या है इसका दाम बढ़ने से कनेक्शन
तो सबसे पहले बोरियों को दोनों तरफ से कवर पहनाने के बाद कवर के अंदर कार्बन डाइऑक्साइड का एक सिलेंडर जो 450 रुपये का आता है वो छोड़ दिया जाता है. गैस को इस तरह से छोड़ा जाता है कि वो पूरी तरह से कवर के अंदर फैल जाए. इसके साथ ही 10 फीसद ऑक्सीजन भी कवर के अंदर छोड़ी जाती है. फिर जिप से कवर को अच्छी तरह से बंद करने के बाद छोड़ दिया जाता है.
डॉ. महेश ने बताया कि बामुश्किल कवर के अंदर गैस भरने का खर्च 500 रुपये है. वहीं पांच टन वजनी बोरियों को ढकने के लिए उस साइज का कवर 1.25 लाख रुपये का आता है. लेकिन एक बार खरीदा गया कवर 20 साल तक चलता है. क्योंकि अभी यह कवर फिलीपींस से खरीदा जा रहा है तो इसलिए महंगा आ रहा है. लेकिन जैसे ही यह कवर भारत में बनने लगेगा तो बहुत ही सस्ता हो जाएगा.
ये भी पढ़ें-
खुरपका-मुंहपका के टीकाकरण में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, पढ़ें पूरी डिटेल