गन्ना उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट (ADT), बारामती के साथ मिलकर देशव्यापी नेशनल एआई-एमएल नेटवर्क प्रोग्राम की शुरुआत की है. यह पहल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी उन्नत तकनीकों के जरिए गन्ने की पैदावार, गुणवत्ता, टिकाऊ खेती और किसानों की आमदनी को बेहतर बनाने का काम करेगी.
इस कार्यक्रम के तहत ISMA ने ADT बारामती और अग्रणी एग्रीटेक कंपनी Map My Crop (MMC) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह साझेदारी विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों में एआई के प्रभाव को समझते हुए गन्ना खेती की गुणवत्ता, उत्पादकता और टिकाऊपन को बढ़ावा देगी.
इस पहल की जड़ें 2024 में ADT, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और माइक्रोसॉफ्ट की साझेदारी में शुरू हुई एक प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं, जिसका उद्देश्य "गन्ना फसल खेती प्रथाओं में खेल-परिवर्तनकारी सुधारों के लिए एआई, कंप्यूटर विज़न और मशीन लर्निंग का अनुप्रयोग" था. इसके तहत 1,000 से ज्यादा किसानों को एआई आधारित समाधानों से जोड़ा गया था.
इस डिजिटल पहल के पीछे का उद्देश्य देश में औसत गन्ना उत्पादकता को 100 टन प्रति हेक्टेयर से ऊपर और रिकवरी को 11% या उससे ज्यादा तक पहुंचाना है. इसके लिए पहले ISMA ने ICAR के अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की थी, ताकि बेहतर किस्में और प्रभावी खेती तकनीकों को बढ़ावा मिल सके. इस विजन को आगे बढ़ाते हुए 2023 में ADT ने माइक्रोसॉफ्ट की प्रेरणा से भारत का पहला “Farm of the Future” KVK बारामती में बनाया, जहां रीयल टाइम में एआई, IoT, सैटेलाइट डेटा और आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग दिखाया गया है. माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के AI टूल्स जैसे Azure Data Manager, AI चैटबॉट्स, वर्चुअल एग्रोनॉमिस्ट, फार्मर को-पायलट जैसे इनोवेशन को इसमें शामिल किया गया है.
वहीं, प्रोजेक्ट को लेकर ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि "इस पहल के केंद्र में भारतीय किसान हैं... यह तकनीक-समर्थित नेटवर्क किसानों को बेहतर निर्णय लेने, कम संसाधनों का उपयोग करने और प्रति एकड़ बेहतर लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा."
यह कार्यक्रम देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, जिसमें चीनी मिलें, अनुसंधान संस्थान और किसान समूह भाग लेंगे. इसके तहत फील्ड डेमो, प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे ताकि तकनीक की पहुंच जमीनी स्तर तक हो. ISMA का यह कदम न सिर्फ कृषि को डिजिटल और टिकाऊ बना रहा है, बल्कि किसानों को केंद्र में रखते हुए भारत की बायो-एनर्जी चेन और एथनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य को भी मजबूत करेगा.