ग्रीनहाउस में उगाई जाने वाली फसलों पर अब रोबोट करेंगे छिड़काव, लागत और समय की होगी बचत

ग्रीनहाउस में उगाई जाने वाली फसलों पर अब रोबोट करेंगे छिड़काव, लागत और समय की होगी बचत

"ग्रीनहाउस और खुले मैदान के लिए टेलीरोबोटिक लक्ष्य-विशिष्ट चयनात्मक कीटनाशक एप्लीकेटर" नामक यह तकनीक बैटरी से चलने वाली मशीन है जो लगभग 2 घंटे में एक एकड़ क्षेत्र को कवर कर सकती है. एक बार पूरी तरह चार्ज होने के बाद, यह बैटरी पर दो घंटे तक काम कर सकती है, हालांकि संचालन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.

अब रोबोट से होगी फसलों की सिंचाई (सांकेतिक फोटो)अब रोबोट से होगी फसलों की सिंचाई (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 19, 2024,
  • Updated Jul 19, 2024, 5:07 PM IST

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के वैज्ञानिक दिलीप कुमार कुशवाहा ने ग्रीनहाउस के अंदर उगाई जाने वाली फसलों के लिए रोबोटिक छिड़काव मशीन विकसित की है. इस आविष्कार का उद्देश्य किसानों की मेहनत को कम करते हुए कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से बचाना है.

कुशवाहा ने आदर्श कुमार (आईएआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक) के मार्गदर्शन और पीएचडी छात्र मुडे अर्जुन नाइक की मदद से इस मशीन को विकसित किया है. जिसके लिए आईएआरआई ने एक सप्ताह पहले पेटेंट दायर किया है. हाल ही में आईसीएआर स्थापना दिवस के दौरान एक प्रदर्शनी में इस रोबोट के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे विकसित करने में लगभग 1 लाख खर्च हुए हैं.

क्या है इसकी खासियत

आपको बता दें इस रोबोट में 40 लीटर का जार लगा है, जिसमें कृषि रसायन और पानी को स्टोर किया जा सकता है और स्प्रे को पौधे की ऊंचाई के आधार पर नियंत्रित किया जाता है, क्योंकि मशीन में कुछ अंतराल पर सेंसर फिट किए गए हैं. ये सेंसर स्वचालित रूप से स्प्रे के नोजल को नियंत्रित करता है. कुशवाह ने कहा कि ग्रीनहाउस के बाहर बैठा एक ऑपरेटर स्क्रीन से लगे रिमोट कंट्रोल के माध्यम से रोबोट की गति को संचालित कर सकता है.

ये भी पढ़ें: High-tech farming: स्मार्ट हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी से सब्जी-बागवानी में मिलेगी बंपर उपज, जानिए कैसे?

एक चार्ज पर 2 घंटे चलती है मशीन

"ग्रीनहाउस और खुले मैदान के लिए टेलीरोबोटिक लक्ष्य-विशिष्ट चयनात्मक कीटनाशक एप्लीकेटर" नामक यह तकनीक बैटरी से चलने वाली मशीन है जो लगभग 2 घंटे में एक एकड़ क्षेत्र को कवर कर सकती है. एक बार पूरी तरह चार्ज होने के बाद, यह बैटरी पर दो घंटे तक काम कर सकती है, हालांकि संचालन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. कुशवाहा ने कहा, "रोबोट में पारंपरिक बैटरी से चलने वाले नैपसेक स्प्रेयर की तुलना में कीटनाशक के इस्तेमाल में 57 प्रतिशत लागत बचत होती है."

किसानों के लिए वरदान है ये रोबोट

"ग्रीनहाउस के अंदर छिड़के जाने वाले रसायनों के कई हानिकारक प्रभाव होते हैं क्योंकि वे हवा में घुलते नहीं हो सकते हैं, जिस वजह से अगर किसान या कोई भी व्यक्ति उस हवा में सांस लेता है तो वो उसके अंदर जा सकता है. इसलिए, इस तरह का नवाचार मजदूरों के लिए वरदान है. मृदा विज्ञान के विशेषज्ञ ए.के. सिंह ने कहा कि सरकारी नीति में कुछ बदलाव जैसे कि इसका उपयोग अनिवार्य बनाना और रिमोट से चलाने के लिए मजदूरों को प्रशिक्षित करना, काफी मददगार साबित होगा.

MORE NEWS

Read more!