भारत के अलग-अलग राज्यों में स्मार्ट हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. इस तकनीक के उपयोग से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. किसान अब इस तकनीक के महत्व को समझने लगे हैं और इसे अपनाकर अपने खेतों में बेहतर रिजल्ट पा रहे हैं. स्मार्ट हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी का तात्पर्य उन उन्नत तकनीकों से है जो खेती और बागवानी को अधिक प्रभावी और उत्पादक बनाने में सहायक होती है. इसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), सेंसर्स, ड्रोन्स, रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, समस्तीपुर, बिहार के प्रोफेसर और प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के डॉ. एसके सिंह के अनुसार, स्मार्ट हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी में सेंसर का उपयोग करके तापमान, आर्द्रता, प्रकाश की तीव्रता, मिट्टी की नमी और पोषक तत्वों के स्तर जैसी पर्यावरणीय स्थितियों का वास्तविक डेटा एकत्र किया जाता है. यह पौधों के विकास की निगरानी और प्रबंधन में मदद करता है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) विभिन्न उपकरणों और घटकों की कनेक्टिविटी को सक्षम बनाती है, जिससे डेटा विनिमय और उपकरणों के रिमोट कंट्रोल की सुविधा मिलती है. स्वचालित सिंचाई सिस्टम सेंसर और मौसम डेटा का उपयोग करके पौधों की पानी की जरूरतों को निर्धारित करते हैं, जिससे पौधों को सही समय पर और सही मात्रा में पानी मिलता है.
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डॉ. एसके सिंह के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) सिस्टम के माध्यम से पौधों के स्वास्थ्य, विकास पैटर्न और रोग एवं कीट का पता लगाने के बारे में पहले ही अवलोकन कर लेता है और भविष्यवाणियां प्रदान करता है. इस तकनीक से किसान कीट रोग और परेशानियों से समय रहते छुटकारा पाने के लिए सक्रिय निर्णय ले सकते हैं. वर्टिकल सिस्टम खेती में पौधों को खड़ी परतों या संरचनाओं में उगाया जाता है, जिससे कम जगह में ज्यादा उपज मिलती है. इसमें एलईडी लाइटिंग, हाइड्रोपोनिक्स और स्वचालित पोषक तत्व वितरण प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाता है.
रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से किसान अपने खेतों की निगरानी और नियंत्रण दूर से कर सकते हैं. मोबाइल एप्लिकेशन या वेब आधारित प्लेटफार्मों के माध्यम से वास्तविक समय डेटा तक पहुंच सकते हैं. पर्यावरणीय मापदंडों को समायोजित कर सकते हैं और गंभीर स्थितियों या सिस्टम विफलताओं के बारे में अलर्ट या सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं. डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से खेती संबंधित निर्णय लेने में सहायता मिलती है. यह संसाधन आवंटन को अनुकूलित करने और समग्र उत्पादकता में सुधार करने के लिए पैटर्न, रुझान और सहसंबंधों की पहचान करता है.
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सब्जी और बागवानी में रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करके रोपण, कटाई, छंटाई और फसल के रखरखाव जैसे काम किए जाते हैं. यह सिस्टम श्रम जरूरतों को कम करते हैं और दक्षता को बढ़ाते हैं. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था और स्मार्ट पावर प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करके ऊर्जा खपत को अनुकूलित किया जाता है. मोबाइल एप्लिकेशन से किसान अपनी बागवानी प्रणालियों की निगरानी और नियंत्रण के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस का उपयोग कर सकते हैं.
स्मार्ट हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी से पर्यावरणीय कारकों की निगरानी और नियंत्रण करने से उत्पादकता में वृद्धि होती है और उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्राप्त होते हैं. सेंसर और स्वचालन प्रणाली का उपयोग करके संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाता है, जिससे अपशिष्ट को कम किया जाता है और लागत बचत होती है. वास्तविक समय डेटा और अंतर्दृष्टि के आधार पर समय पर निर्णय लेने की सुविधा मिलती है. कुल मिलाकर स्मार्ट हॉर्टिकल्चर कृषि में उत्पादकता, संसाधन दक्षता, स्थिरता और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है. प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित दृष्टिकोणों के संयोजन से यह कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने और अधिक कुशल और टिकाऊ खाद्य उत्पादन प्रणाली में योगदान करने की क्षमता रखता है.
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