केंद्र सरकार किसानों के लिए सुविधा, लागत घटाने और आय बढ़ाने के मकसद से ड्रोन उपयोग को बढ़ावा दे रही है. जिसका केंद्रीय बजट 2023 में भी प्रावधान किया गया है. वहीं ड्रोन को किसानों व अन्य हितधारकों के लिए किफायती बनाने के लिए, खेतों पर इसके डेमो और कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम) योजना के तहत फार्म मशीनरी ट्रेनिंग और टेस्टिंग संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को ड्रोन की खरीदने के लिए लागत का 100 प्रतिशत की दर से सहायता प्रदान की जा रही है. वहीं एसएमएएम योजना के तहत ’किसान ड्रोन' को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 127 करोड़ रुपये जारी किए हैं. जिसमें से 52.50 करोड़ रुपये से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) 300 किसान ड्रोन खरीदेगा.
खेतों में कीटनाशकों और दूसरे केमिकल का छिड़काव करने की वजह से गंभीर हेल्थ प्रॅाब्लम होने की संभावना बनी रहती है, जबकि ‘किसान ड्रोन’ की मदद से छिड़काव करने से कम समय में एक क्लिक के साथ काम आसानी से हो जाता है. वहीं, किसान ड्रोन में लगे हाई रेजोल्यूशन कैमरों की मदद से किसान घर बैठे ही अपनी फसल की निगरानी करने के साथ हेल्थ का रिकॉर्ड रख सकते हैं. गौरतलब है कि एक बड़े खेत में केमिकल का छिड़काव करने में किसानों को कई घंटों लगते हैं, वहीं ‘किसान ड्रोन’ को एक एकड़ भूमि के क्षेत्र में केमिकल छिड़काव करने में मुश्किल से 10-15 मिनट लगते हैं. इससे किसानों का काफी समय बचता है.
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इसके अलावा, समान्यतः किसानों को खेतों में केमिकल छिड़काव करने में ज्यादा पानी लगता है, जबकि ड्रोन से जरुरी केमिकल का छिड़काव बहुत कम पानी में कर सकते हैं. ये किसानों के लिए लागत भी कम करता है. इसके साथ ही पानी की कमी को भी रोकता है.
ड्रोन की ट्रेनिंग के लिए आप हरियाणा में तीन स्कूल, महाराष्ट्र में चार संस्थान, तेलंगाना के दो, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, गुजरात के अहमदाबाद, हिमाचल प्रदेश के शाहपुर, झारखंड के जमशेदपुर, कर्नाटक के बेंगलुरु और तमिलनाडु के चेन्नई में ट्रेनिंग स्कूल खुलने की अनुमति मिली है. वहीं, अगर आप किसान ड्रोन की ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपने राज्य के अप्रूव्ड ड्रोन ट्रेनिंग स्कूल में जाना होगा. इसके साथ ही ट्रेनिंग के सर्टिफिकेट कोर्स के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.