
किसानों के लिए आईटीसी (ITC) ने एक अहम कदम उठाया है. आईटीसी (ITC) ने अगले पांच वर्षों में अपने उन्नत कृषि ग्रामीण सेवाओं (MAARS) के लिए मेटा मार्केट के माध्यम से 4,000 से अधिक किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को जोड़ेगा, जिससे 1 करोड़ किसानों को लाभ होगा. इसमें फिजिटल प्लेटफॉर्म को फसल बीमा सहित कई नई सेवाओं के साथ भी जोड़ा जाएगा. वर्तमान में, 1,700 एफपीओ के 10.7 लाख किसान MAARS नेटवर्क पर हैं, जो किसानों को फार्म-गेट खरीद, उर्वरक उपयोग, मौसम संबंधी सलाह के लिए व्यक्तिगत सेवाएं देता है. यह किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बैंक के लोन लेने तक पहुंचने में भी सक्षम है.
फसल बीमा और स्थानीय मौसम संबंधी चेतावनियां और उपज का पता लगाने के लिए खेतों की जियो-टैगिंग, इस प्लेटफॉर्म पर जोड़ी जाने वाली नई सेवाओं में शामिल हैं. आईटीसी के कृषि-व्यवसाय प्रभाग के सीईओ एस गणेश कुमार ने कहा कि एमएएआरएस पर 10.7 लाख से अधिक किसान पहले ही रजिस्टर्ड हो चुके हैं, जिससे क्वालिटी वाले उत्पादन के लिए एक तंत्र विकसित हो गया है. उन्होंने कहा कि लक्ष्य 2030 तक 1 करोड़ किसानों को रजिस्ट्रर्ड करना है, जो उत्पादन के स्रोत के लिए कंपनी की कृषि-मूल्य श्रृंखला की रीढ़ होंगे.
कंपनी की मौजूदगी करीब 22 राज्यों में है और इसकी योजना मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार में विस्तार करने की है. आईटीसी गेहूं, धान, मक्का, सोयाबीन, मिर्च और जीरा से लेकर हरी मटर, आम और अन्य फल और सब्जियों जैसी पारंपरिक फसलों की खरीद भी बढ़ा रही है.
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गणेश कुमार ने ‘फाईनेंसियल एक्सप्रेस’ को बताया कि हमारे साथ जुड़े किसान कीमत पाने के लिए मंडियों में नहीं जाते, हम उन्हें दरवाजे पर सुविधा देते हैं और खेत पर खरीद करते हैं. मध्य प्रदेश में, कंपनी ने एफपीओ के माध्यम से 2.5 लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा है. वर्तमान में, विविध समूह की लगभग 40 फीसदी कृषि खरीद आईटीसी MAARS प्लेटफॉर्म का उपयोग करके की जाती है. कंपनी 22 राज्यों में लगभग 3 मिलियन टन कृषि वस्तुओं, जिसमें गेहूं, सोयाबीन आदि की खरीद करती है और देश में कृषि उत्पादों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है.
एफपीओ के माध्यम से आईटीसीएमएएआरएस पर रजिस्टर्ड किसानों को बीज, फसल के लिए पोषक तत्व और खाद, बैंकों के साथ साझेदारी के माध्यम से लोन और कृषि तकनीक भागीदारों, स्टार्ट-अप और अपनी उपज बेचने के लिए एक मंच के माध्यम से उर्वरक के ड्रोन-आधारित सेवाओं तक पहुंच मिलती है. आईटीसी ने अपने ई-चौपाल नेटवर्क के माध्यम से किसानों से सीधे गेहूं खरीदकर आशीर्वाद ब्रांड शुरू किया, जो अब 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्रांड है.
वर्तमान में, भारतीय स्टेट बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एक्सिस बैंक जैसे कई हितधारक, साथ ही सिंजेन्टा, कॉर्टेवा एग्री साइंसेज और कोरोमंडल जैसी प्रमुख बीज और उर्वरक कंपनियां भी इस मंच से जुड़ चुकी हैं.
गणेश कुमार ने कहा कि यह जलवायु स्मार्ट कृषि पद्धतियों को भी बढ़ावा देता है जैसे कि चौड़ी क्यारी वाली फ़रो, उर्वरक अनोखी किस्मों के कुशल उपयोग के लिए ड्रोन जैसी तकनीक का उपयोग, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए मिट्टी का संरक्षण और जल प्रबंधन पर भी ध्यान देता है.