इन दिनों देश में पारंपरिक खेती को छोड़ आधुनिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. देश के कई राज्य किसानों की आय और फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए गंभीर हैं, जिसके तहत अनेक किसान हितैषी योजना और प्रोत्साहनों की घोषणा करते रहते हैं. इसके अलावा किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने के लिए कई तरह की कमेटी और विशेषज्ञों की टीम भी गठित की जाती हैं, जिससे किसानों को फायदा पहुंचाने का प्रयास जारी है. इसी तहत हरियाणा सरकार के उद्यान विभाग ने कृषि क्षेत्र में तेजी लाने और आलू उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए किसानों को ड्रोन से आलू के खेतों में दवा और कीटनाशक रसायनों का छिड़काव ड्रोन विधि से करने की सलाह दी है
हरियाणा के करनाल में कृषि संबंधी एक कार्यक्रम में उद्यान विभाग के महानिदेशक डॉ. अर्जुन सिंह सैनी ने किसानों को खेती में तेजी लाने समय और मेहनत में कमी लाने के अलावा फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए आधुनिक रूप से खेती करने की सलाह दी. उन्होंने खेती में कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा देने पर खूब जोर दिया इसके साथ-साथ एरोपोनिक यूनिट और नेट हाउस की जानकारी दी जिससे फसल उत्पादन को बढ़ाा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
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डॉक्टर सैनी ने आलू प्रौद्योगिकी केंद्र का निरीक्षण किया उसके बाद किसानों को आलू की खेती के दौरान पारंपरिक तरीकों को छोड़ कई बदलाव करने की सलाह दी. उन्होंने आलू किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना, नेट हाउस और एरोपोनिक यूनिट जैसे तरीकों को अपनाने के अलावा आलू में कृषि रसायनों के छिड़काव के लिए पुरानी स्प्रे मशीन को छोड़कर ड्रोन का उपयोग करने की सलाह दी जिससे कई तरह के परिवर्तन देखे जा सकते हैं
पारंपरिक स्प्रे मशीन के तुलना में ड्रोन पद्धति से रसायनों का छिड़काव अधिक फायदेमंद हो सकता है. इसमें दवाओं और पानी की काफी हद तक बचत होती है साथ ही सभी पौधों में एक समान और आवश्यक मात्रा में दवा का छिड़काव होता है इसके अलावा किसानों को पीठ पर पानी से भरी भारी स्प्रे मशीन को लादने से छुटकारा मिलेगा.
पारंपरिक तरीके से रसायनों का छिड़काव करने से खेत में उतर कर पूरे खेत में किसानों को घूमना पड़ता था. जिसके कारण कई पौधे पैरों से कुचल कर नष्ट हो जाते थे और पैदावार में कमी आती थी. इसके अलावा स्प्रे करने के लिए किसानों को काफी देर तक रसायनों के संपर्क में रहना होता है जिससे उन्हें कई तरह के इंफेक्शन का खतरा रहता था ड्रोन पद्धति से रसायनों के छिड़काव से किसानों को कई तरह के लाभ होंगे.
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