
भारतीय कृषि को भविष्य की चुनौतियों के लिए तेजी से तैयार किया जा रहा है. दरअसल, इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने जीनोम एडिटिंग तकनीक में तेजी से विस्तार किया है. इस मामले पर केंद्र सरकार की ओर से संसद में बताया कि देश में अब 24 अनाज वाली फसलों और 17 बागवानी फसलों में जीनोम एडिटिंग पर शोध शुरू हो चुका है. इसका उद्देश्य अधिक उत्पादक, पोषक और जलवायु आधारित किस्मों का विकास करना है, जिससे किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में बताया कि आईसीएआर 24 अनाज फसलों और 17 हॉर्टिकल्चर फसलों में जीनोम एडिटिंग पर काम कर रहा है. इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) भी 10 फसलों में जीनोम एडिटिंग से जुड़े शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह तकनीक फसलों की क्वालिटी को सुधारने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और उत्पादन लागत घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
मंत्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि आईसीएआर द्वारा अब तक धान की दो जीनोम-एडिटेड किस्में विकसित की जा चुकी हैं. वहीं, बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल के तहत राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने सरसों की कम ग्लूकोसिनोलेट वाली जीनोम-एडिटेड लाइन विकसित की है. यह सरसों की किस्म फिलहाल आईसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) के तहत फील्ड ट्रायल में है.
रेडिएशन तकनीक से फसल सुधार पर जानकारी देते हुए मंत्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में इस तकनीक से विकसित 23 किस्में खेती के लिए जारी की गई हैं, जिसमें 7 धान, 5 सरसों, 3 उड़द, 3 ज्वार, 2 मूंगफली, 1 मूंग, 1 तिल और 1 केला शामिल हैं. वहीं, अब तक कुल 72 उन्नत फसल किस्में रेडिएशन आधारित म्यूटेशन से विकसित कर किसानों को उपलब्ध कराई जा चुकी हैं. ये किस्में अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्रों और खरीफ, रबी और गर्मी वाले मौसम के लिए उपयुक्त हैं.
नई किस्में विभिन्न राज्यों की अलग-अलग कृषि-जलवायु परिस्थितियों और विभिन्न फसल मौसमों के लिए तैयार की गई हैं. इन किस्मों में उपज में वृद्धि, बीजों का बड़ा आकार, बीज निष्क्रियता, शीघ्र परिपक्वता, उच्च पोषक तत्व, फसल गिरने से बचाव, रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के प्रति व्यापक अनुकूलन क्षमता जैसे प्रमुख गुण मौजूद हैं.