
देश में कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए सरकार लगातार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI तकनीकों का उपयोग बढ़ा रही है. संसद के चालू सत्र में सरकार ने बताया है कि AI की मदद से किसान अब मौसम, बुआई, कीट प्रबंधन, फसल निगरानी और सरकारी योजनाओं से संबंधित सूचनाएं पहले से ज्यादा तेज, सटीक और लोकल लेवल पर हासिल कर पा रहे हैं. खेत से लेकर बाजार तक कृषि सप्लाई चेन को मजबूत करने और किसानों के जोखिम को कम करने में AI एक नई क्रांति साबित हो रहा है.
राज्यसभा में दिए गए लिखित उत्तर में सरकार ने बताया कि वर्ष 2025 के खरीफ मौसम के लिए 13 राज्यों के कुछ हिस्सों में स्थानीय मॉनसून आगमन की भविष्यवाणी करने वाला एक AI आधारित पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया. यह प्रयोग डेवलपमेंट इनोवेशन लैब-इंडिया के सहयोग से किया गया था. इसके लिए एक ओपन-सोर्स ब्लेंडेड मॉडल अपनाया गया जिसमें NeuralGCM, ECMWF का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम AIFS और IMD के 125 वर्षों के ऐतिहासिक वर्षा डेटा को शामिल किया गया.
यह मॉडल सिर्फ स्थानीय स्तर पर मॉनसून के आगमन की भविष्यवाणी करता है, जो किसानों के लिए बेहद अहम होती है, क्योंकि इसी के आधार पर वे अपनी फसल की बुआई, खेत की तैयारी और इनपुट उपयोग जैसी गतिविधियों की योजना बनाते हैं. सरकार ने बताया कि इस पूर्वानुमान को एम- किसान पोर्टल के माध्यम से SMS द्वारा 3 करोड़ 88 लाख से अधिक किसानों तक भेजा गया. संदेशों को हिंदी, ओड़िया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी सहित पांच भाषाओं में प्रसारित किया गया.
पूर्वानुमान भेजने के बाद मध्य प्रदेश और बिहार में किसानों से फोन पर प्रतिक्रिया भी जुटाई गई. इस सर्वे में सामने आया कि 31 से 52 प्रतिशत किसानों ने AI आधारित पूर्वानुमान के आधार पर अपनी बुआई और भूमि तैयारी से जुड़ा निर्णय बदला. कई किसानों ने फसल चयन, बीज और उर्वरक उपयोग के स्तर पर भी बदलाव किए. सरकार ने कहा कि AI से जुड़ा इस प्रयोग से मौसम अनुमान न सिर्फ ज्यादा विश्वसनीय हो रहे हैं, बल्कि किसानों की जमीन पर वास्तविक बदलाव भी ला रहे हैं.
सरकार ने बताया कि AI का उपयोग केवल मौसम पूर्वानुमान तक सीमित नहीं है. कृषि क्षेत्र में कई अन्य एप्लिकेशन भी तेजी से विकसित हो रहे हैं.
किसान ई-मित्र एक वॉइस-बेस्ड AI चैटबॉट है, जो पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाओं पर किसानों के सवालों का तुरंत जवाब देता है. यह 11 भाषाओं में उपलब्ध है और रोजाना हजारों किसानों की मदद कर रहा है. अब तक 93 लाख से अधिक सवालों के जवाब यह प्लेटफॉर्म दे चुका है.
मौसम अनिश्चितता और जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों पर पड़ने वाले कीट हमलों से भारी नुकसान होता है. ऐसे में सरकार ने AI और मशीन लर्निंग आधारित नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम विकसित किया है. यह सिस्टम किसानों और कृषि कार्यकर्ताओं को मोबाइल से कीटों की तस्वीर लेकर तुरंत पहचान करने और समाधान सुझाने में सक्षम बनाता है. वर्तमान में यह 66 फसलों और 432 से ज्यादा कीट प्रजातियों पर काम कर रहा है और 10,000 से अधिक कृषि विस्तार कर्मी इसका उपयोग कर रहे हैं.
AI आधारित एनालिटिक्स का उपयोग करते हुए खेती की वास्तविक स्थिति और मौसम के मिलान का विश्लेषण किया जा रहा है. इससे यह पता चलता है कि कौन सी फसल कितने क्षेत्र में बोई गई है और उसकी ग्रोथ कैसी है. यह जानकारी योजना बनाने और फसल जोखिम प्रबंधन में बहुत उपयोगी है.
लोकसभा में प्रस्तुत एक अन्य लिखित उत्तर में सरकार ने बताया कि AI तकनीकें कृषि सप्लाई चेन को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. खेत से मंडी तक की दूरी में अक्सर कई चुनौतियां होती हैं- जैसे भंडारण, परिवहन, गुणवत्ता जांच, मूल्य अनुमान और मांग-आपूर्ति का संतुलन. AI आधारित सिस्टम इन चुनौतियों को कम करने में मदद कर रहे हैं.
आने वाले समय में AI किसानों की आय बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएगा. मौसम, कीट, मिट्टी और फसल से जुड़ी जानकारी रियल टाइम में मिलने से जोखिम कम होंगे और खेती अधिक वैज्ञानिक, टिकाऊ और लाभदायक बनेगी.