Coffee Farmers: कॉफी किसानों के लिए खुशखबरी, दो नई अरेबिका किस्में जारी करेगा CCRI, जानिए इनकी खासियत

Coffee Farmers: कॉफी किसानों के लिए खुशखबरी, दो नई अरेबिका किस्में जारी करेगा CCRI, जानिए इनकी खासियत

भारतीय कॉफी किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अब अरेबिका कॉफी की दो नई उन्नत किस्में जल्द ही व्यावसायिक खेती के लिए उपलब्ध होंगी, जो न सिर्फ ज्यादा पैदावार देंगी बल्कि व्हाइट स्टेम बोरर और लीफ रस्ट जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति भी ज्यादा सहनशील होंगी.

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क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Dec 20, 2025,
  • Updated Dec 20, 2025, 1:29 PM IST

भारतीय कॉफी किसानों को अब अरेबिका की दो नई किस्में मिलेंगी जो ज्यादा पैदावार वाली हैं और व्हाइट स्टेम बोरर (WSB) और लीफ रस्ट बीमारी को झेल सकती हैं. चिकमंगलूर के बालेहोन्नूर में सेंट्रल कॉफी रिसर्च इंस्टीट्यूट (CCRI) अपनी शताब्दी समारोह के हिस्से के तौर पर, शनिवार को इन किस्मों को कमर्शियल खेती के लिए जारी करेगा. अब तक, CCRI ने कुल 13 अरेबिका और 3 रोबस्टा सिलेक्शन जारी किए हैं. भारतीय कॉफी उगाने वालों को अब अरेबिका की दो नई किस्में मिलेंगी, जो ज्यादा पैदावार देने वाली हैं और व्हाइट स्टेम बोरर (WSB) और लीफ रस्ट बीमारी से लड़ने में सक्षम हैं.

कुल 13 अरेबिका और 3 रोबस्टा किस्में जारी

चिकमंगलूर के बालेहोन्नूर में सेंट्रल कॉफी रिसर्च इंस्टीट्यूट (CCRI) अपनी शताब्दी समारोह के हिस्से के तौर पर, शनिवार को कमर्शियल खेती के लिए किस्में जारी करेगा. अब तक, CCRI ने कुल 13 अरेबिका और 3 रोबस्टा सिलेक्शन जारी किए हैं. नई किस्मों में से, सिलेक्शन 14 कॉफी व्हाइट स्टेम बोरर (CWSB) के प्रति सहनशील है, जबकि सिलेक्शन 15 ज़्यादा पैदावार देने वाली, रस्ट प्रतिरोधी और सेमी-ड्वार्फ किस्म है. यह रिलीज़ ऐसे समय में आई है जब घरेलू किसान जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं, जिसमें बारिश का अनियमित पैटर्न और सफेद तना छेदक और पत्ती रतुआ जैसे कीटों और बीमारियों की बढ़ती घटनाएं शामिल हैं, जिन्होंने अरेबिका की पैदावार पर असर डाला है.

इन किस्मों की क्या है खासियत?

CCRI के अनुसार, सिलेक्शन 14 (S.4595) को सिलेक्शन 11 और HdeT (तिमोर हाइब्रिड) को क्रॉस करके डेवलप किया गया है और इसमें सफेद तना छेदक का बहुत कम असर देखा गया है और पत्ती के रतुआ रोग के प्रति ज़्यादा फील्ड टॉलरेंस है. बायोएसे स्टडीज़ से पता चला कि कोलियोप्टेरान कीट पौधे के अंदर अपना जीवन चक्र पूरा नहीं कर पाता है. माइक्रोस्कोपिक जांच में सुरंगों के अंदर मरे हुए लार्वा देखे गए. कर्नाटक और तमिलनाडु में 18 जगहों पर इन आबादी की सिस्टमैटिक मॉनिटरिंग ने इस दिलचस्प हाइब्रिड में CWSB के प्रति टॉलरेंस की पुष्टि की.

दिलचस्प बात यह है कि सिलेक्शन 14 एकमात्र अरेबिका जीनोटाइप है जो CWSB के प्रति सहनशीलता दिखाता है और इसकी पैदावार लगभग 1,200-1,400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है, जिसका कप क्वालिटी स्कोर 72-77 है. इसी तरह, सिलेक्शन 15 (S.5086) एक F1 हाइब्रिड है जिसे चंद्रगिरी और सिलेक्शन 10 की लोकप्रिय किस्मों को क्रॉस करके विकसित किया गया है. इसे रस्ट प्रतिरोधी जीन से मजबूत किया गया है ताकि इसकी ड्यूरेबिलिटी और प्रोडक्टिविटी बढ़ाई जा सके, जिसकी पैदावार 1,600-1,800 किलोग्राम/हेक्टेयर के बीच होती है और कप क्वालिटी और स्कोर 79-80 होता है.

कॉफी का 7वां सबसे बड़ा उत्पादक है भारत

अंग्रेजी अखबार 'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत कॉफी का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक और इस कमोडिटी का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है. 2024-25 के दौरान कॉफी का उत्पादन 3.63 लाख टन (lt) से ज़्यादा रहा, जिसमें 1.05 लाख टन अरेबिका और 2.57 लाख टन रोबस्टा शामिल हैं. कॉफी की खेती लगभग 4.43 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर होती है, जिसमें कर्नाटक का हिस्सा दो-तिहाई से ज़्यादा है, इसके बाद केरल और तमिलनाडु का नंबर आता है. आंध्र प्रदेश, ओडिशा और उत्तर-पूर्व के गैर-पारंपरिक राज्यों में भी कॉफी की खेती का विस्तार किया जा रहा है. मौजूदा 2025-26 के लिए, कॉफी बोर्ड ने फूल आने के बाद के अनुमानों में 4.03 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया है, जिसमें 1.18 लाख टन अरेबिका और 2.84 लाख टन रोबस्टा शामिल हैं.

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