
देश में किसानों को सस्ती और भरोसेमंद सिंचाई सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत किसानों को सोलर पंप और सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है. लेकिन योजना से जुड़ा एक अहम शब्द है O&M, जिसे लेकर कई किसान असमंजस में रहते हैं. सवाल यह है कि O&M क्या होता है और पीएम कुसुम योजना में इस पर क्यों इतना जोर दिया जाता है.
O&M का पूरा नाम ऑपरेशंस और मेनटेंनेंस है. हिंदी में इसे संचालन और रखरखाव कहा जाता है. इसका मतलब है सोलर पंप या सोलर प्लांट को सही तरीके से चलाना और समय-समय पर उसकी देखभाल करना. पीएम कुसुम योजना के तहत लगाए गए सोलर पंप और सोलर सिस्टम लंबे समय तक काम करें, इसके लिए O&M बेहद जरूरी होता है. इसमें सोलर पैनल की सफाई, वायरिंग की जांच, मोटर और इन्वर्टर की देखरेख, खराब पार्ट्स की मरम्मत और सिस्टम की नियमित निगरानी शामिल होती है.
पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को जो सोलर पंप दिए जाते हैं. वो 20 से 25 साल तक चलने की क्षमता रखते हैं. लेकिन यह तभी संभव है जब उनका सही ढंग से रखरखाव किया जाए. O&M के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि सोलर सिस्टम बिना रुकावट काम करता रहे. अगर किसानों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो फिर सोलर पैनल पर धूल जम सकती है, वायरिंग ढीली हो सकती है या मोटर में तकनीकी खराबी आ सकती है. इससे पंप की क्षमता घट जाती है और किसानों को सिंचाई में परेशानी होती है.
O&M किसानों के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे सोलर पंप की कार्यक्षमता बनी रहती है. सही रखरखाव से पंप ज्यादा बिजली पैदा करता है और पानी की आपूर्ति नियमित बनी रहती है.इसके अलावा O&M से मरम्मत का खर्च कम हो जाता है. अगर छोटी खराबियों को समय रहते ठीक कर लिया जाए तो बड़ी तकनीकी दिक्कतों से बचा जा सकता है. इससे किसानों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ता. O&M किसानों को मानसिक राहत भी देता है. उन्हें बार-बार टेक्निशियंस बुलाने या सिस्टम बंद होने की चिंता नहीं रहती. खासकर दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले किसानों के लिए यह काफी फायदेमंद साबित होता है.
पीएम कुसुम योजना के तहत शुरुआती कुछ वर्षों तक O&M की जिम्मेदारी आमतौर पर उस कंपनी या एजेंसी की होती है, जिसने सोलर पंप लगाया है. कई राज्यों में यह अवधि 5 साल तक तय की गई है. इस दौरान किसी भी तकनीकी खराबी की स्थिति में कंपनी को मुफ्त में मरम्मत करनी होती है. इसके बाद इस काम की जिम्मेदारी किसान या स्थानीय एजेंसी पर आ सकती है. इसलिए किसानों को शुरुआत से ही सोलर पंप के सही उपयोग और बुनियादी रखरखाव की जानकारी दी जाती है.
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