आज तकनीक मानव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है. जीवन के हर क्षण, हर कदम पर इंसान तकनीक का सहारा ले रहा है. चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या कृषि का, हर जगह तकनीक और आधुनिक मशीन इंसानों की कार्य प्रणाली को काफी सरल बना रही हैं. वहीं, बिहार के पूसा समस्तीपुर में स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का लाइब्रेरी अब समय के साथ पूरी तरह से डिजिटल और स्वचालित हो चुका है. अब यहां के विद्यार्थियों को किताब लेने के लिए किसी के पास नहीं जाना होता है, बल्कि वे आरएफआईडी और माइलाफ्ट तकनीक की मदद से किताब हासिल कर रहे हैं .
बिहार में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर पहला विश्वविद्यालय है, जहां पुस्तकालय को पूरी तरह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बदल दिया गया है. वहीं, देशभर में ऐसे चुनिंदा ही विश्वविद्यालय हैं, जहाँ इस तरह की अत्याधुनिक तकनीक लागू की गई है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी. एस. पांडेय ने बताया कि पुस्तकालय में आरएफआईडी (RFID) और माइलाफ्ट (MyLoft) तकनीक लागू की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि यह उनकी विशेष इच्छा थी कि विद्यार्थियों को किसी भी समय और किसी भी स्थान से अध्ययन सामग्री आसानी से मिल सके. इसी कारण पुस्तकालय को पूरी तरह डिजिटल स्वरूप में बदला गया है.
विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि आरएफआईडी एक वायरलेस पहचान तकनीक है, जो रेडियो तरंगों के माध्यम से पुस्तकों की पहचान और ट्रैकिंग करती है. इसके उपयोग से पुस्तकालय से पुस्तकों का इश्यू और वापसी अब तेज, सटीक और पूरी तरह स्वचालित ढंग से होगी. वहीं, विद्यार्थी पुस्तकालय सहायक से संपर्क किए बिना स्वयं सेल्फ-चेक-इन और चेक-आउट मशीन की मदद से किताबें ले सकेंगे और वापस कर सकेंगे. छात्रों की सुविधा के लिए माइलाफ्ट तकनीक भी शुरू की गई है. इसकी मदद से छात्र अब विश्वविद्यालय की सभी पुस्तकों को डिजिटल फार्मेट में अपने मोबाइल पर कभी भी, कहीं भी पढ़ सकेंगे.
विश्वविद्यालय पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. राकेश मणि शर्मा ने कहा कि ऐसी अत्याधुनिक तकनीक ज्यादातर विदेशी विश्वविद्यालयों में ही उपलब्ध है. वहीं, अब इस तरह की सुविधा केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को मिल रही है. उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में इस समय पांच लाख से अधिक पुस्तकें मौजूद हैं. इसके अलावा दुनिया की बेहतरीन शोध पत्रिकाओं (जर्नल्स) का ऑनलाइन डेटाबेस भी छात्रों को उपलब्ध कराया गया है. राज्य में इस तरह की सुविधा और शोध सामग्री कहीं और उपलब्ध नहीं है.