
पश्चिम बंगाल के बर्दवान दुर्गापुर से तृणमूल कांग्रेस (TMC) उम्मीदवार कीर्ति झा आजाद अनोखे ढंग से चुनाव प्रचार कर रहे हैं. सिर पर पगड़ी बांधे घोड़े पर सवार हो कर, तो कभी राम नाम के साथ खंजरी बजाते, तो कभी टीएमसी के झंडों के साथ सड़कों पर नाचते हुए, तो कभी आदिवासी महिलाओं के नृत्य के साथ मांदल बजाते हुए, नृत्य करते हुए कीर्ति झा आजाद मतदाताओं का दिल जीत रहे हैं. ऐसे में अपने प्रत्याशी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.
पूर्व क्रिकेटर कीर्ति झा आजाद ने पहले दिन बर्दवान के राधारानी स्टेडियम में लीग मैच के दौरान क्रिकेट खेलकर चुनाव प्रचार की शुरुआत की. तब से वे पूर्व बर्दवान जिले में लगातार प्रचार कर रहे हैं, वह भी अपने अनोखे तरीके से. सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने के अलावा, सुसज्जित प्रचार मार्च भी किए जा रहे हैं. कभी उन्हें राम नाम के साथ खोल करतल खंजरी बजाते देखा जाता है. कभी टीएमसी के झंडों के साथ सड़कों पर नाचते हुए नजर आते हैं. मतदाताओं का दिल जीतने के लिए कभी-कभी वे घोड़े की सवारी भी कर रहे हैं. कभी-कभी वे आदिवासी महिलाओं के नृत्य के साथ मांदल बजाते हुए नृत्य करते भी देखे जा रहे हैं. ऐसे में प्रत्याशी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.
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दूसरी ओर कीर्ति झा के सामने हैं बीजेपी के हैवी वेट कैंडिडेट पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष. उनका प्रचार करने का तरीका अलग है. वे अभी भी मॉर्निंग वॉक , मंदिर में पूजा, चाय पर चर्चा और जनसंपर्क से प्रचार कर रहे हैं. इस संबंध में दिलीप घोष का कहना है कि उन्हें बंगाल में दोबारा प्रचार करने की जरूरत नहीं है. वे गांवों और कस्बों में घूम रहे हैं और बर्दवान के लोगों से मिल रहे हैं. वे पूछते हैं, भारत का कौन सा उम्मीदवार सुबह छह बजे सड़कों पर निकलता है? मैं एक पैसा भी खर्च नहीं कर रहा हूं प्रचार के लिए.
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दिलीप घोष कहते हैं, मैं कोई प्रचार नहीं कर रहा हूं. बस लोगों से मिल रहा हूं. लोग मुझे देखना चाहते हैं. इसलिए मैं आमने-सामने जा रहा हूं. लोग उन लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने देंगे जिन्हें चोर कहा जाता है, जिनके पास लोगों के पास जाने का चेहरा नहीं होता. हमने मंदिर बनाया, हम ही मंदिर के निर्माता हैं, अगर हम मंदिर नहीं जाएंगे तो क्या चोर मंदिर में जाएंगे. जब मैं मीटिंग करूंगा तो वे सांस नहीं ले पाएंगे. घोष कहते हैं, मैं कोई प्रोपेगेंडा नहीं फैला रहा हूं. बस लोगों से मिल रहा हूं. लोग मुझे मान्यता प्राप्त होते देखना चाहते हैं, इसलिए मैं आमने-सामने जा रहा हूं. लोग उन लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने देंगे जिन्हें चोर कहा जाता है.(सुजाता मेहरा की रिपोर्ट)