साल भर की कड़ी मेहनत के बाद आम के बागों में फसल तैयार होती है. इस साल लखनऊ के मलिहाबाद में दहशरी आम (Dasheri Mango) की बागवानी करने वाले किसानों के चेहरों पर खुशी है. बागों में आम के पेड़ बौर से लदे हुए हैं. आम के बागवान यही मना रहे हैं कि मौसम ऐसे ही साथ देता रहे. खासकर जब तक बौर लगा है, तब तक बारिश न हो. इस क्रम में अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव व बागवान उपेंद्र कुमार सिंह ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि इस सीजन में सर्दियों के समय मौसम लगभग एक समान ही रहा, जिस कारण बागों में निकला ज्यादातर एडवांस बौर भी कामयाब दिख रहा है.
उन्होंने कहा कि अभी तक बागवानों के लिए खुशी की बात है कि कोई नुकसान नहीं दिख रहा है. पिछले साल बौर ही कम था, जिस कारण फसल भी कमजोर थी. इस वर्ष मलिहाबाद के बागवानों के पास 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र आम बागवानों के पास है, जो पिछले साल इतना नहीं हुआ था. इस वर्ष 75 फीसदी फसल अच्छी है. आम की बागवानी पूर्ण रूप से मौसम पर ही निर्भर होती है.
उपेंद्र बताते हैं कि कि 75 प्रतिशत तक बागों में फ्लॉवरिंग हो चुकी है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 1.25 लाख मैट्रिक टन आम हुआ था, लेकिन इस वर्ष 2.5 लाख मीट्रिक टन के ऊपर आम होने की उम्मीद है, जो सुखद संदेश किसानों के लिए है. आने वाले दिन आम की फसल के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. अगर अच्छी धूप खिली रही तो बागवानों की दोगुनी आमदनी होगी.
लखनऊ के माल-मलिहाबाद सहित पूरे प्रदेश में अब आम के बागों में बहार है. खूब बौर आया है. इस बारे में नबी पनाह, माल के किसान उपेंद्र सिंह कहते हैं कि मौसम पूरी तरह फसल के लिए अनुकूल है. बौर तो हर बार आता है, लेकिन उसमें भी कोई न कोई रोग लग जाता था, इस बार कोई रोग नहीं लगा है. अब आगे भी यही उम्मीद है कि आम की फसल भी अच्छी रहेगी.
केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पीके शुक्ला ने बताया कि फरवरी की शुरुआत में अचानक मौसम कुछ गर्म हुआ था, लेकिन उसके बाद जब तेजी से बौर आना शुरू हुआ तो फिर मौसम ठीक हो गया. एक मार्च से अब तक अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं गया. इसी तरह न्यूनतम तापमान एक बार 10 डिग्री तक गया. सामान्य तौर पर 12-15 डिग्री सेल्सियस के बीच ही तापमान रहा है.
उन्होंने बताया कि सुबह-शाम को ठंडी हवाएं चलीं, लेकिन दिन में धूप हो जाने से संतुलन बन जा रहा है. इस बार अब तक बौर के सीजन में बारिश भी नहीं हुई. इस वजह से फंगस नहीं लगी और न ही कोई और रोग लगा है. इस बार की फसल को देखकर लग रहा है कि इसकी भरपाई हो जाएगी. जिस कारण किसानों में खुशहाली है और इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी. बता दें कि उत्तर प्रदेश आम के उत्पादन में देश में सबसे आगे है.
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