उत्तर प्रदेश में साठा धान की खेती प्रतिबंधित, कृषि एक्सपर्ट ने किसानों को दी ये बड़ी सलाह

उत्तर प्रदेश में साठा धान की खेती प्रतिबंधित, कृषि एक्सपर्ट ने किसानों को दी ये बड़ी सलाह

UP Farmers News: कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर का कहना है कि जायद सीजन में ग्रीष्मकालीन धान यानी साठा धान लगभग 60 दिनों में पक जाती है, यह अन्य धान किस्मों की तुलना में अत्यधिक पानी का इस्तेमाल करती है. इससे भूजल दोहन बढ़ता है.

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों से साठा धान की बुवाई नहीं करने को कहा है.उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों से साठा धान की बुवाई नहीं करने को कहा है.
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Apr 02, 2025,
  • Updated Apr 02, 2025, 11:10 AM IST

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में साठा धान की खेती प्रतिबंधित है. ऐसे में कृषि एक्सपर्ट ने किसानों ने विकल्प के तौर पर दूसरी फसल की बुवाई की सलह दे रहे है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर ने प्रदेश के किसानों से अपील की गई है कि जायद सीजन में वह साठा धान की बुवाई न करें. बल्कि उन्हें मूंग, मक्का समेत अन्य फसलों की खेती की सलाह दी गई है. किसानों को साठा धान की बुवाई से रोकने के लिए अन्य जायद फसलों के बीजों की मिनी किट मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है. बता दें कि हरियाणा और पंजाब में पहले से ही साठा धान की खेती प्रतिबंधित है. 

अनुदान पर इन फसलों के बीज उपलब्ध कर रही सरकार 

उन्होंने कहा कि यदि आपके आसपास कोई साठा धान की खेती करता है तो तत्काल सम्बन्धित उपजिलाधिकारी को सूचित करें. डॉ तोमर ने कहा कि साठा धान के लगाने से भूगर्भ जल स्तर तेजी से नीचे जाने और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के चलते साठा धान की खेती प्रतिबंधित है. साठा धान की जगह पर अन्य कम पानी वाली एवं अधिक लाभ देने वाली फसले विकल्प के रूप में उपलब्ध है. जैसे-उड़द, मूंग, सूरजमुखी, मक्का, सब्ज़ियां आदि की बुवाई कर सकते हैं.इसके लिए लिए कृषि विभाग और उद्यान विभाग अनुदान पर बीज उपलब्ध करा रहा है.

कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर का कहना है कि जायद सीजन में ग्रीष्मकालीन धान यानी साठा धान लगभग 60 दिनों में पक जाती है, यह अन्य धान किस्मों की तुलना में अत्यधिक पानी का इस्तेमाल करती है. इससे भूजल दोहन बढ़ता है, जबकि जमीन के बंजर होने का खतरा भी रहता है. साठा धान को नदियों और जलाशयों का दुश्मन भी कहा जाता है.

भूजल का गिरता तेजी से स्तर

उन्होंने कहा कि धान की अन्य किस्में औमतौर पर 3-4 महीनों में तैयार होती हैं, जबकि साठा धान अपने नाम की तरह 60 दिनों में पक जाती है. इससे किसान इस धान की बुवाई के लिए आकर्षित होते हैं. हालांकि, यह भूजल स्तर के लिए खतरनाक किस्मों में गिनी जाती है. इसीलिए इस पर रोक लगाई गई है.

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