UP: पीपीपी मॉडल जरिए सब्जियों के बीज उत्पादन से किसान हुए आत्मनिर्भर, IIVR में हुआ मंथन

UP: पीपीपी मॉडल जरिए सब्जियों के बीज उत्पादन से किसान हुए आत्मनिर्भर, IIVR में हुआ मंथन

IIVR Varanasi News: इस अवसर पर विभिन्न प्रान्तों के 40 से अधिक कंपनी प्रतिनिधियों, संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों सहित 100 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि भारत में सब्जी उत्पादन में स्थिरता और उत्पादकता के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता अत्यंत जरूरी है.

आईआईवीआर वाराणसी में आयोजित हुआ सब्जी बीज जागरूकता कार्यक्रमआईआईवीआर वाराणसी में आयोजित हुआ सब्जी बीज जागरूकता कार्यक्रम
क‍िसान तक
  • LUCKNOW,
  • Oct 06, 2025,
  • Updated Oct 06, 2025, 5:41 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों तक सस्ते और अच्छे बीजों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी ने एक बड़ी पहल की है. इसी क्रम में आईआईवीआर, वाराणसी में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) के वाराणसी चैप्टर द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण सब्जियों के बीजों की उपलब्धता बढ़ाने एवं उद्यमशीलता के लिए जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया.

विभिन्न प्रान्तों के 100 से अधिक लोग हुए शामिल

इस अवसर पर विभिन्न प्रान्तों के 40 से अधिक कंपनी प्रतिनिधियों, संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधार्थियों सहित 100 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि भारत में सब्जी उत्पादन में स्थिरता और उत्पादकता के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता अत्यंत जरूरी है.

किसानों तक पहुंच रही उन्नत बीज

उन्होंने कहा कि पीपीपी मॉडल के माध्यम से संस्थान और निजी कंपनियां मिलकर उच्च उत्पादकता एवं रोग प्रतिरोधी किस्मों पर अनुसंधान के माध्यम से किसानों तक उन्नत बीज पहुंचा रहे हैं, जिससे सब्जी बीजों में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है.

पीपीपी मॉडल से गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता बढ़ाने पर फोकस

संस्थान के निदेशक ने आगे बताया कि सब्जी बीज क्षेत्र में नवीनतम पीपीपी मॉडल के द्वारा गुणवत्ता सुधार एवं किसानों के लिए बेहतर उद्यम अवसरों का सशक्त माध्यम साबित हो रहा है.

बीजों का करना पड़ता है आयात 

दरअसल, उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 139.43 लाख क्विंटल बीजों की जरूरत होती है. बीज उत्पादन में कमी के कारण प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 फीसदी बीज दक्षिण भारत के राज्यों से मंगाना पड़ता हैं. इस आयात पर हर साल करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. सभी फसलों के हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते है. बता दें किआईआईवीआर ने अब तक 27 सब्जी फसलों में 129 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की हैं. 

ये भी पढ़ें-

Fish Farming in Winter: मछली पालन कर रहे हैं तो सर्दियों में तालाब के लिए बहुत जरूरी हैं ये तीन काम, पढ़ें डिटेल

पंजाब में किसानों को मिले 70,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, किसान मजदूर मोर्चा ने किया विरोध प्रदर्शन

लखनऊ के विनोद ने गमलों में उगाया मीठे रसीले चेरी, फलों से लद गया पेड़, जानें तरीका

MORE NEWS

Read more!