केंद्र सरकार ने पिछले एक महीने में 223 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद पूरी कर ली है. जबकि पिछले साल 30 अप्रैल तक 161 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हुई थी. एमएसपी पर सबसे ज्यादा खरीद पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा में हो रही है. जबकि गेहूं खरीदने के मामले में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार काफी पीछे चल रहे हैं. इन राज्यों में खरीद की सुस्ती दूर करने के लिए केंद्र ने 500 नए केंद्र खोल कर बिक्री में तेजी की कोशिश शुरू कर दी है. नए केंद्र भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई और नाफेड खोल रहे हैं. खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने 'किसान तक' को इस बात की जानकारी दी है.
सिंह ने उम्मीद जताई कि इस साल गेहूं खरीदने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. इस बार एमएसपी पर गेहूं खरीदने के टारगेट को पिछले साल के 444 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 341.50 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है. यानी अब 118.5 लाख मीट्रिक टन की खरीद और हो जाएगी तो टारगेट पूरा हो जाएगा. कुछ राज्यों में मई तो कुछ में जून तक खरीद प्रक्रिया जारी रहेगी. जहां खरीद उम्मीद से काफी कम हो रही है वहां पर उसे तेज करने के प्रयास हो रहे हैं. राज्य सरकारों से कहा गया है कि खरीद केंद्र बढाएं. ग्राम पंचायत स्तर पर भी खरीद की अनुमति दे दी गई है.
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इस साल गेहूं खरीदने के लिए देश भर में 17,822 केंद्र खोले गए हैं, जबकि पिछले साल इनकी संख्या 17,320 थी. यानी खरीद केंद्रों में वृद्धि की गई है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में जो पांच सौ नए केंद्र खोले जा रहे हैं वो इससे अलग हैं. इस साल पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश ने गेंहू खरीद में रिकार्ड कायम किया हुआ है. सरकार को इन्हीं तीनों सूबों की बदौलत खरीद का टारगेट पूरा करने की उम्मीद है. ये तीन राज्य बफर स्टॉक में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं.
इन तीन राज्यों में खरीद इसलिए ज्यादा है क्योंकि मार्च के अंतिम और अप्रैल के पहले सप्ताह में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से इनमें बड़े पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ था, खासतौर पर गेहूं का. इसलिए किसान खराब क्वालिटी का गेहूं जल्द से जल्द बेचना चाह रहे हैं. मध्य प्रदेश ने एमएसपी पर खराब गेहूं भी खरीदने के लिए सबसे पहले केंद्र से अनुमति ली थी. इसके बाद ऐसी ही परमिशन पंजाब और हरियाणा को भी मिली.
खराब गेहूं पर एमएसपी में अधिकतम करीब 37 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती का प्रावधान किया गया. हरियाणा और पंजाब में यह कटौती दोनों की राज्य सरकारें वहन कर रही हैं. यानी खराब गेहूं का भी किसानों को पूरा एमएसपी मिल रहा है. इसलिए भी इनमें गेहूं की बंपर सरकारी खरीद हो रही है.
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