गेहूं की सरकारी खरीद अभी चल ही रही है कि कई बाजारों में इसका दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक हो गया है. खासतौर पर महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा के शहरों में. महाराष्ट्र में तो गेहूं की खेती होती नहीं, लेकिन राजस्थान इसका बड़ा उत्पादक है. देश के कुल गेहूं उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी की है. ऐसे में यहां पर रेट 2,833 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाना चौंकाता है. वो भी मई के महीने में. राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम के मुताबिक 22 मई को कोटा मंडी में गेहूं का यही अधिकतम दाम रहा. वहां पर न्यूनतम दाम 1,860 और मॉडल प्राइस 2,131 रुपये प्रति क्विंटल रहा. चित्तौड़गढ़ जिले की निम्बाहेड़ा मंडी में भी गेहूं के दाम का रिकॉर्ड बन रहा है. यहां गेहूं का अधिकतम भाव 2,751 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है.
दरअसल, गेहूं खरीद की सुस्त चाल बता रही है कि इस बार भी गेहूं ओपन मार्केट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक भाव पर ही बिकेगा. हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश आदि में किसानों ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुए गेहूं को एमएसपी पर सरकारी मंडियों में बेच दिया. बाकी अच्छी गुणवत्ता के गेहूं को बचाकर रखा है ताकि खरीद सीजन खरीद होने के बाद उन्हें और अच्छा दाम मिल सके. किसानों को कहीं न कहीं इस बात की जानकारी तो है कि सरकार गेहूं एक्सपोर्ट को इसीलिए नहीं खोल रही है क्योंकि किसी स्तर पर क्राइसिस है. एक साल से अधिक वक्त से सरकार ने गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन लगाया हुआ है.
इसे भी पढ़ें: यूपी-बिहार की वजह से गेहूं खरीद के लक्ष्य से पीछे रह सकती है केंद्र सरकार
उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक 22 मई को देश में गेहूं का औसत दाम 2575.62 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 4300 और न्यूनतम 1700 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इसके मुताबिक चंडीगढ़ में 2650, दिल्ली में 2550, करनाल में 2520, करनाल में 2200 और पंचकूला में 2400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव रहा. अलग-अलग शहरों का दाम बता रहा है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद मई में ही गेहूं का भाव एमएसपी से ऊपर पहुंच गया है. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल है. ज्यादातर मंडियों में गेहूं का दाम 22 से लेकर 26 रुपये किलो तक है.
(Source: e-Nam/22-05-2023)
इसे भी पढ़ें: इथेनॉल बनाने की चुनौती: फूड और फीड से सरप्लस होंगी तभी फ्यूल के काम आएंगी फसलें