मॉनसून की दस्तक के साथ ही सब्जियां हुई महंगी, 40 रुपये किलो हुआ आलू, जानें प्याज, टमाटर का रेट

मॉनसून की दस्तक के साथ ही सब्जियां हुई महंगी, 40 रुपये किलो हुआ आलू, जानें प्याज, टमाटर का रेट

पालक का बंडल दिखाते हुए उन्होंने कहा कि पत्तेदार सब्जियों पर भी इसका असर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. पालक का बंडल 5 रुपये से बढ़कर 15 रुपये प्रति गुच्छा हो गया है, हालांकि गुच्छा अब छोटा हो गया है. ऐसे में आसमान छूती कीमतें गोवा में खाद्य सुरक्षा और स्थिरता को लेकर बड़ी चिंताएं पैदा कर रही हैं.

हरी सब्जियों की कीमत में उछाल. (सांकेतिक फोटो)हरी सब्जियों की कीमत में उछाल. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 23, 2024,
  • Updated Jun 23, 2024, 3:00 PM IST

गोवा में प्याज, टमाटर और आलू सहित अन्य सब्जियों के दाम बहुत अधिक महंगे हो गए हैं. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि मॉनसून आगमन के बाद कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. अभी पणजी बाजार में प्याज 50 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि टमाटर और आलू क्रमशः 80 रुपये किलो और 40 रुपये किलो बिक रहे हैं. वर्का स्थित सब्जी विक्रेता सलीम रजब अली ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र से भी सब्जियों की सप्लाई प्रभावित हुई है. इससे भी सब्जियां महंगी हुई हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मडगांव के एसजीपीडीए बाजार में एक सब्जी आउटलेट का प्रबंधन करने वाले मिलिंद मंगेशकर ने कहा कि मॉनसून में देरी ने बुवाई के कार्यक्रम को बाधित कर दिया है, जिससे स्थिति और खराब हो गई है. उन्हें डर है कि जब तक नई फसल नहीं आती, कीमतें बढ़ती रहेंगी. इन सब्जियों के अलावा, लहसुन और अदरक क्रमशः 320 रुपये प्रति किलोग्राम और 200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रही हैं.

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तीन गुना महंगा हुआ पालक 

रजब अली ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनके जैसे विक्रेता मुश्किल से ही अपना खर्च निकाल पा रहे हैं और अपनी खरीद लागत के हिसाब से ही बेच रहे हैं. पालक का बंडल दिखाते हुए उन्होंने कहा कि पत्तेदार सब्जियों पर भी इसका असर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. पालक का बंडल 5 रुपये से बढ़कर 15 रुपये प्रति गुच्छा हो गया है, हालांकि गुच्छा अब छोटा हो गया है. ऐसे में आसमान छूती कीमतें गोवा में खाद्य सुरक्षा और स्थिरता को लेकर बड़ी चिंताएं पैदा कर रही हैं.

अधिकांश सब्जियां महंगी

उपभोक्ता सुधा नायर ने कहा कि अधिकांश सब्जियों की कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक होने के कारण, 500 रुपये के बजट में एक सप्ताह का किराने का सामान जुटाना लगभग असंभव हो गया है. एक अन्य उपभोक्ता, नीलिमा एस ने जलवायु अनिश्चितताओं के सामने आपूर्ति श्रृंखला की कमज़ोरी को दर्शाते हुए उपभोक्ताओं के सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों के बारे में बतया. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे पारंपरिक मौसम पैटर्न बदलते हैं और चरम स्थितियां अधिक बार होती हैं. मौसम पैटर्न में भविष्य के उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करने के लिए कृषि पद्धतियों में नवाचार की आवश्यकता है. 

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