भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां खरीफ फसलें (जैसे धान, मक्का, बाजरा, कपास, सोयाबीन आदि) प्रमुख रूप से जून से अक्टूबर के बीच उगाई जाती हैं. इन फसलों की अच्छी पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उनकी सही देखभाल और कटाई की तैयारी बहुत ज़रूरी होती है. आइए जानते हैं खरीफ फसलों की देखभाल और कटाई से जुड़ी जरूरी बातें.
समय पर निराई-गुड़ाई और सिंचाई
खरीफ फसल की अच्छी बढ़वार के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई बहुत जरूरी होती है. इससे खरपतवार नियंत्रित रहते हैं और पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं. सिंचाई का सही समय और मात्रा तय करना भी जरूरी है, खासकर सूखे की स्थिति में.
रोग और कीट नियंत्रण
खरीफ मौसम में अधिक नमी के कारण कीट और फफूंद जनित रोगों का खतरा ज्यादा होता है. फसलों में जैसे तना छेदक, माहू, झुलसा रोग आदि की पहचान समय रहते करें और उचित कीटनाशकों या जैविक उपायों का प्रयोग करें.
पौधों को सहारा देना
कई खरीफ फसलें जैसे अरहर या कपास लम्बी होती हैं और हवा या बारिश से गिर सकती हैं. इसलिए पौधों को बांस या रस्सी से सहारा देना जरूरी होता है.
फसल पकने का सही समय पहचानें
फसल की कटाई तभी करें जब वह पूरी तरह पक जाए. जैसे धान की बालियों का रंग सुनहरा हो जाए और दाने कठोर हो जाएं, तब कटाई करनी चाहिए. अधपकी फसल काटने से उपज और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती हैं.
कटाई के लिए सही औजारों का उपयोग
कटाई के लिए दरांती या आधुनिक कम्बाइन हार्वेस्टर का इस्तेमाल करें. इससे मेहनत कम लगती है और समय की भी बचत होती है. मशीन से कटाई करते समय सावधानी रखें कि दाने टूटें नहीं.
फसल की अच्छी तरह से सुखाई
कटाई के बाद अनाज को अच्छी तरह धूप में सुखाएं ताकि नमी 10% से कम हो. गीले अनाज को भंडारण में रखने से फफूंदी और कीड़े लग सकते हैं.
भंडारण की सही व्यवस्था
अनाज को साफ-सुथरे और कीटमुक्त स्थान पर स्टोर करें. अनाज की बोरियों को ज़मीन से ऊपर लकड़ी के फट्टों पर रखें और दीवारों से थोड़ा दूर रखें ताकि हवा चलती रहे. जरूरत पड़ने पर धूमन (fumigation) करें.
फसल के अवशेष न जलाएं
खेत में कटाई के बाद बची पराली या पत्तियों को जलाना पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है. इसकी जगह अवशेषों को खेत में सड़ा कर खाद बना सकते हैं या अगली फसल जैसे मूंग या उड़द की बुआई कर सकते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है.
कीट और नमी से बचाव
अनाज में यदि कीट लगे हों तो भंडारण से पहले उसे कीटनाशकों से उपचारित करें. पुराने अनाज के साथ नया अनाज न मिलाएं. साथ ही बार-बार नमी और सूखापन बदलने से भी अनाज खराब हो सकता है, इससे बचें.
खरीफ फसल की सही देखभाल और कटाई की उचित तैयारी से किसान न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं, बल्कि उत्पादन में भी सुधार ला सकते हैं. समय पर किए गए छोटे-छोटे कदम जैसे सही सिंचाई, कीट नियंत्रण, कटाई के बाद सुखाई और भंडारण की उचित व्यवस्था- ये सभी किसान की मेहनत का बेहतर फल दिला सकते हैं.