Mango Story: पेपर बैग तकनीक से बढ़ी मलिहाबादी दशहरी आम की पैदावार, किसानों के खिल उठे चेहरे, जानें कैसे?

Mango Story: पेपर बैग तकनीक से बढ़ी मलिहाबादी दशहरी आम की पैदावार, किसानों के खिल उठे चेहरे, जानें कैसे?

सीआईएसएच निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने बताया कि काकोरी-मा-मलिहाबाद में दशहरी आमों के उत्पादों में से 2200 अब तक संस्थान से जुड़ कर उन्नत तकनीकी का लाभ उठा रहे हैं और क्वालिटी आम का उत्पादन कर रहे हैं.

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Mango Story: पेपर बैग तकनीक से बढ़ी मलिहाबादी दशहरी आम की पैदावार, किसानों के खिल उठे चेहरे, जानें कैसे? मलिहाबाद के लगभग हर बाग में पेड़ पर कागज के लिफाफों में आम पके हैं (Photo-Kisan Tak)

Mango Bagging Techniques: परंपरागत खेती के अलावा आम की खेती कर भी सालाना लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है. इसका उदाहरण लखनऊ के मलिहाबाद के किसानों ने पहली बार आम पर पेपर बैगिंग तकनीक का इस्तेमाल कर बागवानी किया. इस स्पेशल पेपर से किसानों ने इस साल आम की बंपर पैदावार की है. जिससे उनके चेहरे खिल उठे हैं. किसान तक से बातचीत में अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि 50 लाख पेपर बैगिंग वाले किसान आज मौजूद है, यानी डेढ़ हजार हेक्टेयर हम लोगों के पास बैगिंग वाले दहशरी आम के किसान है. नान पेपर बैगिंग वाले आम की कीमत मार्केट में कम मिलती है. जबकि बैगिंग वाले आम की वैरायटी की मार्केट में बहुत अधिक डिमांड रहती है. उन्होंने बताया कि पहली बार आंध्र प्रदेश से 50 लाख विशेष बैग मंगाए गए थे. पेड़ पर फल आने के समय किसान आम पर ये कागज का बैग चढ़ा देते हैं. वहीं सीआईएसएच निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने दावा करते हुए बताया कि इस साल मलिहाबाद में एक करोड़ के करीब पेपर बैग का इस्तेमाल किया गया है.

जानिए पेपर बैग की खासियत

1- इसी बैग के अंदर आम बड़ा होता है.
2. बैग चढ़ाने से कीटों से सुरक्षित रहती है फसल.
3. कीटनाशक के स्प्रे का खर्च बहुत कम.
4. जो कीटनाशक डाला जाता है उसका असर भी फल पर कम आता है.
5. बैग का खर्च करने के बावजूद किसान की आमदनी हो रही तीन से चार गुना.
6. बैग में तैयार आम अच्छी गुणवत्ता की वजह से तीन गुना अधिक दाम पर बिकता है.
7. आम की बैगिंग में CISH के वैज्ञानिकों की बड़ी भूमिका.
8. पिछले साल तक ट्रायल के तौर पर किसानों ने थोड़े से बैग लगाए थे.

अगले साल के लिए पांच करोड़ पेपर बैग का लक्ष्य

सीआईएसएच निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने बताया कि काकोरी-मा-मलिहाबाद में दशहरी आमों के उत्पादों में से 2200 अब तक संस्थान से जुड़ कर उन्नत तकनीकी का लाभ उठा रहे हैं और क्वालिटी आम का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के बाग काफी पुराने हैं जिनकी उत्पादक घट गयी है और कीटनाशकों के ज्यादा प्रयोग के चलते बाजार में कीमत कम मिल पा रही थी.

ये भी पढ़ें- Mango: लखनऊ के मलिहाबादी दशहरी आम को पहली बार मिला GI Tag125 यूजर सर्टिफिकेट, अब किसानों की होगी तगड़ी कमाई

दामोदरन ने बताया कि सीएसआईएच ने पेपर बैग उपलब्ध कराकर और उपयोगी सलहा व सहयोग से फल पट्टी क्षेत्र के बागवानों को आमों का क्वालिटी व उत्पादन बढ़ाने में सहयोग किया है. उन्होंने बताया कि इस साल मलिहाबाद में एक करोड़ के करीब पेपर बैग का इस्तेमाल किया गया है. अगले साल के लिए पांच करोड़ पेपर बैग का लक्ष्य है.

दशहरी आम को मिला GI Tag125 यूजर सर्टिफिकेट

बता दें कि लखनऊ के मलिहाबाद का दशहरी आम देश-दुनिया में फेमस है. देश में पहली बार लखनऊ के मलिहाबादी दशहरी आम को GI Tag125 का यूजर सर्टिफिकेट मिल गया है. इससे असली और नकली दशहरी आम की पहचान आसानी से हो जाएगी. अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि दशहरी आम को GI Tag बहुत पहले मिल चुका था, लेकिन अब उसके उत्पाद को बेचने के लिए एक एप्लीकेशन देने पड़ती है कि हम GI Tag125 नाम से मलिहाबादी दशहरी आम को मार्केट में बेचेंगे. जब तक आपको चेन्नाई से यूजर सर्टिफिकेट नहीं मिलता है, आप मलिहाबादी दशहरी के नाम से नहीं बेच सकते हैं.

 

 

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