सोयाबीन फसल में पत्ती झुलसा रोग से किसान परेशान, जानें कैसे करें इसकी पहचान और इलाज

सोयाबीन फसल में पत्ती झुलसा रोग से किसान परेशान, जानें कैसे करें इसकी पहचान और इलाज

सोयाबीन फसल में पत्ती झुलसा रोग की पहचान, कारण और उपचार के आसान उपाय जानिए. इस लेख में दिए गए सरल उपायों से अपनी फसल को रोगमुक्त और उत्पादक बनाएं.

सोयाबीन फसल में पत्ती झुलसा रोगसोयाबीन फसल में पत्ती झुलसा रोग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 15, 2025,
  • Updated Aug 15, 2025, 7:25 AM IST

सोयाबीन एक प्रमुख तिलहन फसल है जो किसानों के लिए आमदनी का अच्छा स्रोत मानी जाती है. लेकिन, फसल में कई बार रोग लगने की समस्या उत्पन्न होती है. इनमें से पत्ती झुलसा रोग (Leaf Blight) एक गंभीर बीमारी है जो उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है. इसी कड़ी में हम जानेंगे पत्ती झुलसा रोग की पहचान, इसके कारण, और इसके प्रभावी इलाज के बारे में.

पत्ती झुलसा रोग क्या है?

पत्ती झुलसा रोग एक फंगल (फफूंद जनित) रोग है जो मुख्य रूप से Cercospora और Septoria नामक कवकों के कारण होता है. यह रोग खासतौर पर गर्म और आर्द्र (नमी युक्त) मौसम में तेजी से फैलता है. यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह पत्तियों को पूरी तरह झुलसा सकता है जिससे पौधे की फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है.

पत्ती झुलसा रोग की पहचान कैसे करें?

  • पत्ती झुलसा रोग की पहचान निम्न लक्षणों से की जा सकती है:
  • पत्तियों के किनारों या बीच में छोटे-छोटे भूरे या काले धब्बे दिखाई देते हैं.
  • ये धब्बे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं.
  • संक्रमित पत्तियां सूखने लगती हैं और गिर जाती हैं.
  • फसल में असामान्य ढंग से पत्तियां मुरझाने लगती हैं.
  • पौधे की वृद्धि रुक जाती है और दाने का आकार छोटा हो जाता है.

पत्ती झुलसा रोग के फैलने के कारण

  • अत्यधिक नमी और बारिश के कारण यह रोग तेजी से फैलता है.
  • फसल में जरूरत से ज्यादा घनत्व.
  • एक ही खेत में लगातार सोयाबीन की खेती करना.
  • संक्रमित बीजों का उपयोग.

पत्ती झुलसा रोग का इलाज और रोकथाम

इस रोग से बचने और इलाज के लिए निम्न उपाय अपनाएं:

1.फफूंदनाशकों का छिड़काव करें:

कार्बेन्डाजिम 0.1% या मैनकोजेब 0.25% का छिड़काव करें.

रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत छिड़काव करें और 10-15 दिन के अंतराल पर दोहराएं.

2.बीज उपचार करें:

बोवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा या थायरम से उपचारित करें ताकि फफूंद जनित रोग न फैले.

3.फसल चक्र अपनाएं:

हर साल एक ही फसल न बोएं. सोयाबीन के बाद गेहूं, मक्का जैसी फसलें बोएं.

4.साफ-सफाई रखें:

खेत में पुराने पौधों के अवशेष न छोड़ें क्योंकि ये रोग फैलाने का माध्यम बन सकते हैं.

सोयाबीन की फसल में पत्ती झुलसा रोग एक खतरनाक बीमारी हो सकती है, लेकिन यदि समय रहते पहचान और सही उपचार किया जाए तो इस पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है. उचित निगरानी, फफूंदनाशकों का प्रयोग और फसल चक्र जैसी सावधानियां अपनाकर किसान इस रोग से अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर सकते हैं.

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