सोयाबीन एक प्रमुख तिलहन फसल है जो किसानों के लिए आमदनी का अच्छा स्रोत मानी जाती है. लेकिन, फसल में कई बार रोग लगने की समस्या उत्पन्न होती है. इनमें से पत्ती झुलसा रोग (Leaf Blight) एक गंभीर बीमारी है जो उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है. इसी कड़ी में हम जानेंगे पत्ती झुलसा रोग की पहचान, इसके कारण, और इसके प्रभावी इलाज के बारे में.
पत्ती झुलसा रोग एक फंगल (फफूंद जनित) रोग है जो मुख्य रूप से Cercospora और Septoria नामक कवकों के कारण होता है. यह रोग खासतौर पर गर्म और आर्द्र (नमी युक्त) मौसम में तेजी से फैलता है. यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह पत्तियों को पूरी तरह झुलसा सकता है जिससे पौधे की फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया रुक जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है.
इस रोग से बचने और इलाज के लिए निम्न उपाय अपनाएं:
1.फफूंदनाशकों का छिड़काव करें:
कार्बेन्डाजिम 0.1% या मैनकोजेब 0.25% का छिड़काव करें.
रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत छिड़काव करें और 10-15 दिन के अंतराल पर दोहराएं.
2.बीज उपचार करें:
बोवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा या थायरम से उपचारित करें ताकि फफूंद जनित रोग न फैले.
3.फसल चक्र अपनाएं:
हर साल एक ही फसल न बोएं. सोयाबीन के बाद गेहूं, मक्का जैसी फसलें बोएं.
4.साफ-सफाई रखें:
खेत में पुराने पौधों के अवशेष न छोड़ें क्योंकि ये रोग फैलाने का माध्यम बन सकते हैं.
सोयाबीन की फसल में पत्ती झुलसा रोग एक खतरनाक बीमारी हो सकती है, लेकिन यदि समय रहते पहचान और सही उपचार किया जाए तो इस पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है. उचित निगरानी, फफूंदनाशकों का प्रयोग और फसल चक्र जैसी सावधानियां अपनाकर किसान इस रोग से अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर सकते हैं.