अप्रैल में खेती के लिए बेस्ट है इस सब्जी की 'माया' किस्म, जानिए क्या है खासियत

अप्रैल में खेती के लिए बेस्ट है इस सब्जी की 'माया' किस्म, जानिए क्या है खासियत

जायद सीजन की शुरुआत होते ही किसान खेतों में कई अलग-अलग प्रकार की सब्जियों की खेती शुरू कर दिए हैं. ऐसे में किसानों को ये चिंता रहती है कि सब्जी की कौन सी किस्म उन्हें बेहतर उत्पादन दे सकती है. इसे देखते हुए किसान अप्रैल के महीने में इस सब्जी की माया किस्म को उगा सकते हैं.

सब्जी की माया किस्मसब्जी की माया किस्म
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Mar 26, 2025,
  • Updated Mar 26, 2025, 12:05 PM IST

हरी सब्जी सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है. वहीं, लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए हरी सब्जी खाते हैं. वहीं, बाजारों में पूरे साल सीजन के हिसाब से हरी सब्जियों की डिमांड भी रहती है. साथ ही कई किस्में हैं जो सब्जियों की खासियत को बढ़ा देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सब्जी की किस्म है 'माया' और कब-कैसे करते हैं इसकी खेती. आपको बता दें कि गर्मी के दिनों में मिलने वाली सब्जी तोरई की किस्म है माया'. तोरई की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. वहीं, किसान इस किस्म की खेती करके बेहतर उपज और कमाई कर सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं माया किस्म की खासियत.

तोरई की ये हैं तीन उन्नत किस्में

माया किस्म: ये तोरई की एक प्रमुख किस्म है. यह किस्म भारतीय बंपर उपज के लिए जानी जाती है. इसके फल मध्यम गूदेदार और पतले आकार होते हैं. इस किस्म की उत्पादन क्षमता 130-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. ये किस्म कई रोगों से लड़ने में सक्षम है. वहीं, इस किस्म की पहली तुडाई 60 दिनों में होती है. यह किस्म डाउनी इमलड्यू रोग प्रतिरोधी है.

पूसा सुप्रिया: तोरई की पूसा सुप्रिया किस्म के बीज की ये खासियत होती है इसके फल चिकने और बिना बालों वाले होते हैं. इस किस्म की तोरई हल्के हरे रंग की होती है. इसके एक बेल में 12 से 16 फल आता है. साथ ही यह किस्म वसंत, गर्मी और खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है. इसके गर्मी वाले फलों की तुड़ाई 50-53 दिन में और खरीफ में उगाए गए फल 45 दिन में तैयार हो जाते हैं और औसत उपज 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

नामधारी NS 474: ये तोरई की एक खास किस्म है. इस किस्म का रंग गहरा हरा होता है. इसकी लंबाई की बात करें तो 40 से 45 सेमी तक होती है. इसका वजन 200 ग्राम से लेकर 250 ग्राम तक का होता है. वहीं. इस किस्म की पहली तुड़ाई 40 से 45 दिन में शुरू हो जाती है.

बंपर उपज के लिए ये हैं टिप्स

  • कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि तोरई की बुवाई के बाद किसानों को फसल सिंचाई और मिट्टी की देखभाल करनी बेहद जरूरी होती है.
  • इसके अलावा पौधों के विकास के लिए बुवाई के समय 20 किलो नाइट्रोजन की मात्रा और 30 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए.
  • इसके बाद समान रूप से दूसरी खुराक पौधों में फूल आने के समय देनी चाहिए.
  • तोरई की फसल को केवड़ा और भूरी रोग का खतरा ज्यादा रहता है.
  • इन रोग से फसल को बचाने के लिए थाइरम नामक फंफुदनशक 2 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचार करना चाहिए.

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