Soybean Farming: 90 दिनों में तैयार होगी सोयाबीन की ये उन्नत किस्म, खरीफ में करें बुवाई और पाएं बंपर कमाई

Soybean Farming: 90 दिनों में तैयार होगी सोयाबीन की ये उन्नत किस्म, खरीफ में करें बुवाई और पाएं बंपर कमाई

Soybean farming: बरसात आते ही किसान खरीफ फसलों की खेती में जुट गए हैं. ऐसे में अगर आप भी इस खरीफ सीजन किसी फसल से बंपर कमाई करना चाहते हैं, तो सोयाबीन की खेती कर सकते हैं. दरअसल, इसकी एक वैरायटी कम समय में बेहतर उपज देती है, जिसकी खेती करके आप अच्छी कमाई कर सकते हैं. 

सोयाबीन की फसलों में खरपतवार का खतरासोयाबीन की फसलों में खरपतवार का खतरा
संदीप कुमार
  • Noida,
  • May 29, 2025,
  • Updated May 29, 2025, 11:51 AM IST

अगर आप खेती से अधिक मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है, क्योंकि मॉनसून आते ही जायद फसलों की खेती के बाद किसान खरीफ फसलों की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में आज हम बात करेंगे खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली सोयाबीन की फसल की. इसकी खेती में सबसे अधिक महत्वपूर्ण इसकी सही किस्मों का चयन करना होता है. खरीफ सीजन के ठीक पहले किसान इस समय असमंजस में हैं क्योंकि मार्केट में सोयाबीन की कई वैरायटी आ चुकी है. ऐसे में किसान यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि कौन सी वैरायटी अच्छी है या कौन सी वैरायटी समय, परिस्थिति, मौसम और भूमि के अनुसार अच्छा उत्पादन देगी. तो आइए हम बताते हैं सोयाबीन की ऐसी ही एक बेस्ट किस्म की जो मात्र 90 दिनों में तैयार हो जाती है और बंपर उत्पादन देती है. साथ ही जान लें इसकी खेती की A-Z जानकारी.

सोयाबीन की किस्म की खासियत

JS 23-03 सोयाबीन की एक खास किस्म है. इस किस्म की खासियत यह है कि ये कम समय में तैयार होती है और प्रचलित किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देती है. इस किस्म को वैज्ञानिकों ने खासतौर पर अधिक उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है. JS 23-03 एक उन्नत किस्म है जो मात्र 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. यह किस्म चारकोल रॉट, एन्थ्रेक्नोज, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट और पीला मोजेक वायरस जैसी बीमारियों के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती है. वहीं, इस किस्म के पौधों में बैंगनी रंग के फूल और बाल रहित फलियां होती हैं, जो इसे अन्य किस्मों से अलग बनाती हैं.

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ऐसे करें सोयाबीन की खेती 

JS 23-03 किस्म की खेती के लिए खेत की सही तैयारी बेहद जरूरी होती है. इस किस्म की खेती के लिए मिट्टी ढीली, उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली वाली होनी चाहिए. वहीं, इस किस्म की खेती के लिए दोमट मिट्टी बेस्ट होती है. बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और गोबर की सड़ी खाद जरूर डालें. इसके अलावा प्रति हेक्टेयर 50-60 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. वहीं, जैविक खाद का उपयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और उत्पादन बेहतर हो.

किसानों के लिए वरदान है ये किस्म

अगर आप JS 23-03 किस्म की खेती करते हैं, तो एक हेक्टेयर में आपको औसतन 2167 किलोग्राम तक उत्पादन मिल सकता है. यह उपज अन्य पारंपरिक किस्मों की तुलना में करीब 27 फीसदी ज्यादा है. यानी किसानों के लिए कम समय, कम लागत में लाखों रुपये तक की कमाई संभव है. ऐसे में बढ़ती लागत और घटते मुनाफे के इस दौर में JS 23-03 किस्म की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. यह न केवल अधिक उपज देती है बल्कि रोग प्रतिरोधक भी है, जिससे रसायनों पर होने वाला खर्च भी बचता है.

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