खेती में हर मौसम का अपना एक खास महत्व होता है और उसी के अनुसार खेती की योजना बनाना जरूरी होता है. गर्मी का मौसम, यानी अप्रैल से जून का समय, फसलों के लिए चुनौतियों भरा हो सकता है, लेकिन यदि किसान सही सलाह और तकनीकों को अपनाएं, तो यह समय भी लाभदायक बन सकता है.
गर्मी के मौसम में तेज धूप, कम नमी और अधिक तापमान फसलों पर सीधा असर डालते हैं. मिट्टी जल्दी सूख जाती है और फसलें पानी की कमी से प्रभावित होती हैं. यही कारण है कि इस समय खेत की नमी बनाए रखना, समतलनीकरण, मिट्टी की जांच, और फसल चयन जैसे कदम बेहद जरूरी हो जाते हैं.
इसके अलावा, गर्मियों में कीटों और बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, जिससे सब्जियों और अन्य फसलों को नुकसान हो सकता है. इसलिए किसान भाइयों को कीट नियंत्रण, सिंचाई प्रबंधन, और फसल संरक्षण की दिशा में भी सजग रहना चाहिए.
गर्मियों का मौसम खेती के लिए कुछ खास तैयारियों की मांग करता है. यदि किसान समय पर सही उपाय करें, तो फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों बेहतर हो सकती हैं. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इस मौसम में किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
इस मौसम में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी खेत की मिट्टी की जांच किसी प्रमाणित प्रयोगशाला या स्रोत से जरूर करवाएं. इससे यह पता चलेगा कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हैं और किस प्रकार की उर्वरक डालनी चाहिए. इससे फसल की गुणवत्ता बढ़ती है.
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जहां संभव हो, खेत का समतलनीकरण करवाएं. इससे पानी की बचत होती है और बीजों का अंकुरण बेहतर होता है. इससे फसल की जड़ें भी गहराई तक जा पाती हैं और पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं.
गर्मी के मौसम में मिट्टी में नमी जल्दी सूख जाती है. बेल वाली फसलें और सब्जियों को न्यूनतम नमी जरूर दें, नहीं तो परागण पर असर पड़ेगा और उत्पादन घट सकता है. सब्जियों में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें ताकि नमी बनी रहे.
इस समय सनई और ढैंचा की बुवाई हरी खाद के लिए करें.
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इस हफ्ते आप ग्वार, मक्का और बाजरा जैसी चारा फसलों की बुवाई कर सकते हैं.
अरहर और कपास की बुवाई के लिए खेत तैयार करें. बीज प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे और रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो.
7. सब्जियों की तुड़ाई सही समय पर करें
सब्जियों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें और तुड़ाई के बाद फलों को छायादार स्थान में रखें. इससे उनकी ताजगी और गुणवत्ता बनी रहती है.
भिंडी की तुड़ाई के बाद प्रति एकड़ 5-10 किलो यूरिया डालें.
माइट कीट की निगरानी करते रहें. अधिक कीट होने पर ईथियाँन @1.5-2 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. साथ ही भिंडी में भी हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करते रहें.
प्ररोह और फल छेदक कीट से बचाव के लिए संक्रमित फल और प्ररोह को इकट्ठा कर नष्ट करें. यदि कीट अधिक हो तो स्पिनोसेड 48 EC @ 1.0 मिली/4 लीटर पानी में मिलाकर साफ मौसम में छिड़काव करें.
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