प्रमुख तिलहन फसल सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने एडवाइजरी जारी की है. इसकी अगेती खेती के लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों-28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक और पूसा महक आदि की बुवाई करने की सलाह दी गई है. किसानों को इसके बीज की व्यवस्था करने और खेतों को तैयार करने की सलाह दी गई है. सरसों की अगेती किस्मों की बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर देनी चाहिए. एक एकड़ खेत में एक किलोग्राम बीज के इस्तेमाल को पर्याप्त बताया गया है.
कृषि वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं. उन्नत किस्म पूसा प्रगति को बताया गया है. किसानों को सलाह दी गई है कि वो बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें. इसके बाद अगले दिन बुवाई करें.
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पूसा की एडवाइजरी के अनुसार इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई भी मेड़ों पर कर सकते हैं. उन्नत किस्म पूसा रूधिरा को बताया गया है. इसकी बीज दर 4 किलोग्राम प्रति एकड़ की होगी. बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें. गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज सिर्फ एक किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से लगता है. जिससे बीज की बचत होती है और उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है.
इस मौसम में सब्जी फसलों में दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है. इसलिए किसान फसलों की निगरानी करें. यदि प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी @ 4.0 मिली/लीटर पानी के साथ सिंचाई जल के साथ दें. इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें. यदि फसलों व सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1 मिली/3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
इस मौसम में सब्जियों (मिर्च, बैंगन) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ का प्रकोप हो तो उसकी निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप लगाएं. प्रति एकड़ 4-6 ट्रैप प्रर्याप्त हैं. प्रकोप अधिक हो तो स्पेनोसेड दवाई 1.0 मिली/4 लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ होने पर छिड़काव करें. मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
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