Paddy Farming: पंजाब सरकार का बड़ा कदम, धान की खेती में करेंगे बदलाव

Paddy Farming: पंजाब सरकार का बड़ा कदम, धान की खेती में करेंगे बदलाव

पंजाब सरकार ने इस वर्ष धान की रोपाई को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले से पराली जलाने की समस्या में कमी आ सकती है. साथ ही इससे पानी का बी बचाव होगा. वहीं, सरकार जल्द ही इस निर्णय को लेकर औपचारिक अधिसूचना जारी करेगी.

खरीफ फसलों की क‍ितनी हुई बुवाई. खरीफ फसलों की क‍ितनी हुई बुवाई.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 31, 2025,
  • Updated Mar 31, 2025, 9:49 AM IST

पंजाब सरकार ने इस वर्ष धान की रोपाई 1 जून से शुरू करने का निर्णय लिया है, जो पिछले साल की तुलना में 10 दिन पहले होगा. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को संगरूर जिले के धुरी में इसकी घोषणा की. यह कदम किसानों को उनकी फसल में उच्च नमी की समस्या से बचाने और खरीद में होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए उठाया गया है. मुख्यमंत्री मान ने बताया कि राज्य को छह से सात जिलों वाले चार अलग-अलग जोनों में विभाजित किया जाएगा, जिससे धान की रोपाई सुव्यवस्थित ढंग से किया जा सके. उन्होंने कहा, "जोन-वार खेती की प्रक्रिया उचित योजना के तहत लागू की जाएगी." इसके साथ ही, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा अनुशंसित पीआर 126, 127, 128 और 129 किस्मों की सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाएगी. नकली बीजों की बिक्री पर सख्त कार्रवाई करने का भी आश्वासन दिया गया है.

पानी और पराली की परेशानी होगी दूर

सरकार ने उच्च क्वालिटी वाली हाइब्रिड धान की किस्मों को नियमित करने और केवल प्रमाणित बीजों के वितरण की योजना बनाई है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि रोपाई को पहले करने से पराली जलाने की समस्या में कमी आ सकती है, क्योंकि इससे धान की कटाई और गेहूं या अन्य रबी फसलों की बुवाई के बीच अधिक समय मिलेगा जिससे पराली जलाने की समस्या कम होगी. संयुक्त निदेशक कृषि (बीज) गुरमेल सिंह ने बताया कि वर्तमान में स्वीकृत 23 हाइब्रिड किस्मों में से केवल तीन से चार को ही आधिकारिक मंजूरी मिली है. पंजाब के कृषि निदेशक जसवंत सिंह के अनुसार चार जोनों का निर्धारण जल उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा, जिसमें सीमित नहर जल आपूर्ति वाले जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी.

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सरकार जल्द जारी करेगी अधिसूचना

सरकार जल्द ही इस निर्णय को लेकर औपचारिक अधिसूचना जारी करेगी. यह कदम पंजाब की स्थायी कृषि रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भूजल संरक्षण और बिजली की मांग को कम करना है. सरकार को उम्मीद है कि संशोधित रोपाई से न केवल किसानों को लाभ मिलेगा बल्कि पर्यावरण को भी सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होगा. नकली बीजों की बिक्री पर सख्त कार्रवाई करने का भी आश्वासन दिया गया है. उच्च क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए हाइब्रिड धान की किस्मों को नियमित करने और केवल प्रमाणित बीजों के वितरण की योजना बनाई गई है.

धान की खेती में पानी की ज्यादा खपत

धान की खेती में अन्य फसलों की तुलना में बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है. 1 किलों धान उत्पादन लेने के लिए लगभग 3000 लीटर की जरूरत होती है. पंजाब में, धान की खेती के लिए भूजल का बहुत अधिक उपयोग किया जाता है, जिससे जल स्तर में गिरावट आई है. नहरों की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण, किसान सिंचाई के लिए ट्यूबवेल पर निर्भर रहते हैं, जिससे भूजल का बहुत ज्यादा दोहन होता है

पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान

पंजाब में धान की कटाई के बाद, किसानों के पास गेहूं की बुवाई के लिए कम समय होता है.पराली को हटाने के लिए, किसान अक्सर इसे जला देते हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनता है. पराली जलाने से निकलने वाला धुआं केवल मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी कम करता है.

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