देश के आठ राज्यों में रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की सरकारी खरीद जारी है, लेकिन सिर्फ तीन राज्यों में ही केंद्र द्वारा तय किया गया टारगेट पूरा होता दिख रहा है. इनमें पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं. बाकी में एमएसपी पर गेहूं खरीदने की रफ्तार बहुत सुस्त है. मंडियां सूनी पड़ी हुई हैं. केंद्र सरकार इस साल 2125 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से बफर स्टॉक के लिए गेहूं खरीद रही है. भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अनुसार रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में 28 अप्रैल तक 2,04,56,309 मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है. खरीद का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले अच्छा है. इसके पीछे तीन मुख्य वजह बताई जा रही है. पहला कारण गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन, दूसरा बेमौसम बारिश से खराब हुई फसल और तीसरा नई फसल आने से ठीक पहले 15 मार्च तक ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत रियायती दर पर बेचा गया 33 लाख टन गेहूं है.
पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा खरीद हो रही है. जबकि देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक सूबे उत्तर प्रदेश में अब तक किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. पिछले साल यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में एक मई तक सिर्फ 161.95 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो सकी थी. जबकि रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22 में 28 अप्रैल तक 258.74 लाख मीट्रिक टन गेहूं सेंट्रल पूल (बफर स्टॉक) के लिए खरीदा जा चुका था. चालू खरीद सीजन में केंद्र ने 341.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है.
इसे भी पढ़ें: हरित क्रांति वाले गेहूं की पूरी कहानी...भारत ने कृषि क्षेत्र में कैसे लिखी तरक्की की इबारत
साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते हमने जमकर कई देशों में गेहूं एक्सपोर्ट किया और उसके बाद रही-सही कसर हीटवेव ने पूरी कर दी. जिसके कारण उत्पादन में गिरावट आ गई थी. ऐसे में किसान एमएसपी से ऊपर दाम पर व्यापारियों को गेहूं बेच रहे थे. लेकिन इस साल हालात बदले हैं. सरकार ने मई 2022 में गेहूं एक्सपोर्ट पर लगाया गया बैन अब तक हटाया नहीं है. इसलिए किसानों को ओपन मार्केट में पहले जैसा भाव नहीं मिल पा रहा है.
इसे भी पढ़ें: Mustard Price: किसानों को निराश करके खाद्य तेलों में कैसे आत्मनिर्भर बन पाएगा देश?