हरी सब्जियों और मसाला फसलों के दाम भले ही आसमान पर हैं और महंगाई को लेकर हाहाकार मची हुई है, लेकिन आलू और प्याज के दाम काबू में हैं. इससे थोड़ी राहत है. लेकिन प्याज के दाम इतने कम हैं कि किसान परेशान हैं. उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. पिछले साल 5 रुपये बिकने वाला लहसुन 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है, 5 से 10 रुपये प्रति किलो बिकने वाला अदरक 300 रुपये तक पहुंच गया है लेकिन पिछले साल एक-दो रुपये किलो बिकने वाला प्याज आज भी एक-दो से 5-10 रुपये किलो के ही भाव पर मिल रहा है. औरंगाबाद और सोलापुर मंडी में बुधवार को प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 1 रुपये किलो रहा. अधिकतम दाम 10 से 20 रुपये किलो तक रहा. लेकिन, अधिकतम दाम तो बहुत कम किसानों को ही नसीब होता है.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि ऐसे ही हालात रहे तो किसान प्याज की खेती बंद कर देंगे. जिससे कहीं न कहीं उपभोक्ताओं को बड़ा नुकसान होगा. जब खेती कम हो जाएगी तो दाम बहुत बढ़ जाएगा, क्योंकि हमारी निर्भरता खाद्य तेलों की तरह ही प्याज के मामले में भी दूसरे देशों पर हो जाएगी. लहसुन और अदरक इसीलिए बहुत महंगा मिल रहा है क्योंकि पिछले साल उन्हें दाम ठीक नहीं मिला और खेती का दायरा उन्होंने बहुत कम दिया. फिर इस साल दोनों का संकट हो गया और मार्केट में रिकॉर्ड भाव हो गया. इसलिए भाव बहुत ज्यादा न बढ़े इसके लिए जरूरी है कि किसानों को सही दाम मिलता रहे. वरना वो दूसरी फसलों पर शिफ्ट हो जाएंगे.
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Source: Maharashtra State Agriculture Marketing Board.