महाराष्ट्र में प्याज की आवक के हिसाब से दाम में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. राज्य में जहां 16 मई को न्यूनतम दाम 24 रुपये किलो की रिकॉर्ड ऊंचाई तक था तो वहीं कुछ मंडियों में किसानों को सिर्फ 1 रुपये किलो के दाम पर भी प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि रायगढ़ जिले की पेण मंडी में जहां 2500 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम दाम रहा तो वहीं इसी दिन सोलापुर और धुले मंडी में सिर्फ 100 रुपये किलो का भी रेट था. धुले में उन किसानों के अरमान धुल गए जिन्होंने निर्यातबन्दी खत्म होने के बाद प्याज से अच्छी कमाई की उम्मीद पाल रखी थी. छत्रपती संभाजी नगर और जालना में न्यूनतम दाम सिर्फ 200 जबकि जुन्नर (नारायणगांव) में 300 रुपये का दाम रहा.
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. जहां रबी, अर्ली खरीफ और खरीफ मिलाकर देश का लगभग 43 प्रतिशत प्याज पैदा होता है. यहां के किसान केंद्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे थे कि निर्यातबन्दी खत्म की जाए. इसके बाद लोकसभा चुनाव के बीच में केंद्र सरकार ने 4 मई को निर्यात खोल दिया. निर्यातबन्दी खुलने के 12 दिन बाद भी मंडियों में किसानों के लिए प्याज का दाम न बढ़ने से किसान परेशान हैं. केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर 2023 से प्याज की निर्यातबन्दी की थी.
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महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि अगर सरकार सच में किसानों को फायदा देना चाहती है तो 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य और उसके ऊपर लगे 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क को हटा लें. ऐसा करने से हम लोग ज्यादा निर्यात कर पाएंगे. जिससे किसानों को फायदा मिलेगा. घरेलू खपत के लिए पर्याप्त प्याज उपलब्ध है. इसलिए सरकार को किसानों की इस मांग पर विचार करना चाहिए.
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