कश्मीर में मशरूम की खेती का कमाल, दहलीज तोड़कर कारोबारी बनीं महिलाएं

कश्मीर में मशरूम की खेती का कमाल, दहलीज तोड़कर कारोबारी बनीं महिलाएं

सफल खेती के पीछे बारामूला जिले का कृषि कार्यालय भी अहम रोल निभा रहा है. कृषि कार्यालय ने यहां की महिलाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी है और उन्नत किस्मों की जानकारी मुहैया कराई है. इस जानकारी के आधार पर महिला समूहों ने मशरूम की वर्टिकल फार्मिंग शुरू की. यहां उन सभी तरह के मशरूम की खेती (mushroom farming) हो रही है जिन वेरायटी का नाम बहुत मशहूर है.

मशरूम की खेती में किस्मत आजमा रहीं महिलाएं (फोटो-Unsplash)मशरूम की खेती में किस्मत आजमा रहीं महिलाएं (फोटो-Unsplash)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 13, 2022,
  • Updated Dec 13, 2022, 12:05 PM IST

Mushroom farming: कश्मीर में सर्दियों के दौरान अब किसान घरों के भीतर मशरूम उगाने लगे हैं. यह किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया बनने लगा है. खास बात ये है कि इसमें महिलाएं बड़ा रोल निभा रही हैं. महिलाएं घरों के अंदर मशरूम की खेती से बंपर कमाई कर रही हैं. भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सटे उत्तरी कश्मीर के बारामूला में रहने वाली महिलाओं का एक समूह इस काम में आगे आया है. इस समूह ने आसपास के किसानों और महिलाओं के लिए खेती-किसानी में प्रेरणा देने का भी काम किया है.

मशरूम की खेती कश्मीर की महिलाओं और किसानों के लिए आमदनी का बड़ा जरिया बनी है. यहां उन सभी तरह के मशरूम की खेती (mushroom farming) हो रही है जिन वेरायटी का नाम बहुत मशहूर है. बटन मशरूम की बात हो या पैडी स्ट्रॉ, यहां तक कि धिंगरी औऱ ओएस्टर जैसी क्वालिटी भी कश्मीर में उगाकर अच्छी कमाई की जा रही है. खास बात ये है कि मशरूम की इन वेरायटी के लिए किसानों को किसी बहुत बड़े रकबे की जरूरत नहीं. वे घर के अंदर ही इसकी खेती करके कमाई कर रही हैं. 

कृषि विभाग का बड़ा रोल

सफल खेती के पीछे बारामूला जिले का कृषि कार्यालय भी अहम रोल निभा रहा है. कृषि कार्यालय ने यहां की महिलाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी है और उन्नत किस्मों की जानकारी मुहैया कराई है. इस जानकारी के आधार पर महिला समूहों ने मशरूम की वर्टिकल फार्मिंग शुरू की. वर्टिकल फार्मिंग के लिए बहुत अधिक क्षेत्र की जरूरत नहीं होती बल्कि एक के ऊपर एक स्पेस बनाकर ऐसी खेती की जाती है. इससे कम क्षेत्र में भी अधिक उपज मिलने की संभावना बनी रहती है. बारामूला की महिला किसान इसी वर्टिकल फार्मिंग की मदद लेकर कमाई कर रही हैं.

मशरूम की खेती (mushroom farming) के लिए कम तापमान की जरूरत होती है. कश्मीर में आसानी से ऐसा मौसम मिल जाता है. मशरूम की खेती के लिए घास-फूस और गेहूं-धान के भूसे की जरूरत होती है जो कि कश्मीर के इन इलाकों में आसानी से उपलब्ध है. मशरूम की खासियत है कि इसकी खेती घर के अंदर या कमरे के भीतर भी कर सकते हैं. कश्मीर में यही खासियत रंग ला रही है क्योंकि यहां महिलाओं को बाहर निकलने के बजाय घर में खेती-बाड़ी का काम हो जाता है. 

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

इस खेती (mushroom farming) से कश्मीर की कई महिलाएं आज आत्मनिर्भर बनी हैं और मशरूम से होने वाली कमाई से परिवार का खर्च चला रही हैं. कश्मीर कभी आतंक का पर्याय और अड्डा माना जाता था, लेकिन यहां की महिलाएं इस तस्वीर को बदल रही हैं. यहां की कई महिलाएं कश्मीर के कृषि विभाग से ट्रेनिंग ले चुकी हैं और उसे मशरूम और अन्य नकदी फसलों की खेती में आजमा रही हैं. जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है और खेती के लिए सब्सिडी दे रहा है. मशरूम की महिला किसान सब्सिडी लेकर अपनी खेती को बढ़ावा दे रही हैं. 

कश्मीर के सीमाई इलाके जहां खेती करना मुश्किल माना जाता है, वहां की महिलाओं ने मशरूम की खेती (mushroom farming) में नया नाम दर्ज किया है. बारामूला हो या कठुआ में हीरानगर का जंडी गांव, यहां की महिलाएं मशरूम की खेती कर अपने पूरे परिवार का खर्च चला रही हैं. महिला सशक्तीकरण के साथ मशरूम की खेती ने इस पूरे इलाके में एक नया खुशनुमा माहौल शुरू कर दिया है.

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