यह कहानी तेलंगाना के अखिल की है. उन्होंने कई काम करने के बाद गधा पालन को अपना करियर बनाया है. अखिल गधा पालन से अब अच्छी कमाई कर रहे हैं. अखिल के हवाले से ANI ने लिखा है, तेलंगाना में यह अपनी तरह का पहला फार्म है और देश में कुल मिलाकर तीसरा. हालांकि तेलंगाना में यह सबसे बड़ा फार्म है जो 20 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है. अखिल कहते हैं कि उन्होंने गधा फार्म शुरू करने के लिए 1 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई है. उनका यह भी कहना है कि गधी के दूध की बहुत मांग है. लेकिन इसका पालन उतनी बड़ी तादाद में नहीं होता जिससे सप्लाई हमेशा कम रहती है. डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर के चलते गधी का दूध कई हजार रुपये लीटर तक बिकता है.
आइए अखिल के इस पूरे बिजनेस और गधा पालन के बारे में जानते हैं. अखिल के फार्म में गधी पाली जाती है. गधी का दूध 7 हजार रुपये लीटर तक बिक जाता है, लेकिन उसकी नस्लें अलग हैं. अखिल जिन गधियों का पालन करते हैं, उनसे दूध का अधिक उत्पादन तो नहीं होता पर बिक्री अच्छी होती है. इससे बिजनेस अच्छा चल पड़ा है. अखिल ने यह व्यवसाय क्यों शुरू किया, इसकी लंबी कहानी है. अखिल के पिता का नाम पुलिडंडा नागेश है जो कि नगरकुरनूल जिले के वेलगोंडा के बिजनेसमैन हैं. हाल के वर्षों में उन्हें बिजनेस में भारी घाटा लगा. इस घाटे को पाटने के लिए उनके बेटे अखिल ने कुछ अनोखी तरकीब सोची.
अखिल पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं और वे इनोवेटिव आइडिया में भरोसा करते हैं. कमाई की संभावनाओँ को देखते हुए अखिल ने डॉन्की फार्म शुरू किया. अखिल ने ऐसा गधा फार्म शुरू किया जो देश में पहले से दो ही जगहों पर था. तीसरा फार्म तेलंगाना में अखिल ने शुरू किया. अखिल का मकसद गधी के दूध से कमाई करना था. बिजीनेपल्ली मंडल में अखिल ने 18 एकड़ की जमीन लीज पर ली और 50 गधियों का पालन शुरू किया. ANI से बातचीत में अखिल ने कहा कि उन्होंने दूध के इस बिजनेस को खड़ा करने पर तकरीबन 1 करोड़ रुपये खर्च किया है.
अखिल बताते हैं कि अभी 15 गधी ही दूध दे रही हैं, लेकिन आने वाले महीनों और उत्पादन और बढ़ जाएगा. अखिल की पाली हुई एक गधी का दूध प्रति लीटर 1500 रुपये तक में बिक जाता है. हालांकि देश में गधी की कुछ नस्लें ऐसी भी हैं जिनका दूध 6-7 हजार रुपये लीटर तक बिकता है. इसी में एक नस्ल है हलारी. हालांकि अखिल के गधी पालन में अभी ये नस्लें नहीं हैं. अखिल बताते हैं कि उन्होंने राजस्थान से 50 गधी खरीदी हैं. एक गधी का दाम 65,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक है. कायदे से देखें तो गधी की कीमत गाय-भैंस से भी अधिक है और दूध के दाम भी गाय-भैंस की तुलना में कई गुना अधिक मिलते हैं.
अखिल ने राजस्थान से गधी खरीदने के बाद 5 लाख रुपये में 6 एकड़ का फार्म लिया. इस फार्म में स्पेशल शेड और चारागाह बनाया गया जहां गधियां रह सकती थीं और चर सकती थीं. दूध निकालने का भी खास इंतजाम किया गया. इस फार्म के अलावा अलग से 20 एकड़ का एक फार्म लीज पर लिया गया जिसमें खास तरह की घासें उगाई जा रही हैं. चारागाह के अलावा अखिल ने अपने फार्म में वेटनरी डॉक्टर और मेडिकल प्रोफेशनल्स नियुक्त किया है जो गधियों की सेहत पर नजर रखते हैं. गधियों के दूध का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाएं और कॉस्मेटिक साबुन में अधिक होता है. इस लिहाज से अखिल लाखों रुपये का व्यवसाय कर रहे हैं.
अखिल के पिता नागेश कहते हैं कि जो देसी-विदेशी कंपनियां दवाएं और कॉस्मेटिक साबुन बनाती है, वे गधी का दूध खरीदती हैं. विदेशी कंपनियां और एजेंसियां गधी के दूध के लिए अखिल के फार्म से संपर्क करती हैं और प्रति लीटर 1500 रुपये तक पेमेंट करती हैं. एक गधी एक दिन में आधा से लेकर 1 लीटर तक दूध देती है. अगर हर दिन के खर्च को काट दिया जाए या उसमें कुछ कटौती की जाए तो मुनाफा बहुत अधिक बढ़ सकता है. अखिल का गधी फार्म तेलंगाना में पहला है. अखिल के पिता ने पहले कई बिजनेस किया पर उसमें लगातार घाटा लगता गया. अब गधा फार्म से अच्छी कमाई हो रही है. तेलंगाना से पहले तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में ऐसे ही एक-एक फार्म हैं.
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