
जीरा भारत का न सिर्फ एक अहम मसाला है बल्कि किसानों के लिए अहम फसल भी है. लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि इस बार इसकी उपज में गिरावट हो सकती है. विशेषज्ञों की मानें तो इस रबी सीजन में भारत में जीरा की खेती का रकबा कम होने की संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कीमतों में गिरावट के चलते किसान इस बीज वाले मसाले की खेती में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसकी वजह से इसका रकबा भी कम हो सकता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात और राजस्थान जैसे मुख्य उत्पादक राज्यों में जीरे की बुवाई, जो इस साल सर्दियों की जल्दी शुरुआत के कारण जल्दी शुरू हो गई थी, अब तक पिछले साल के की तुलना से पीछे है. गुजरात कृषि विभाग की तरफ से जारी ताजा फसल बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, सबसे बड़े उत्पादक राज्य में 15 दिसंबर तक करीब 3.24 लाख हेक्टेयर में जीरे की बुवाई हुई है. यह पिछले साल की तुलना में 3.76 लाख हेक्टेयर के मुकाबले करीब 14 फीसदी कम है. गुजरात में जीरे के लिए सामान्य रकबा 3.81 लाख हेक्टेयर है.
इसी तरह से राजस्थान में भी रकबा कम हुआ है. जोधपुर में मसालों के व्यापारी और एक्सपोर्टर श्री श्याम इंटरनेशनल के दिनेश सोनी ने अखबार बिजनेसलाइन को बताया, 'इस साल जीरे का रकबा कम होगा क्योंकि कीमतें कमजोर हैं. हालांकि हाल के दिनों में कीमतें करीब 20-25 रुपये प्रति किलो बढ़ी थीं लेकिन इसमें लगभग 10 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई. गुजरात में रकबा लगभग 25 प्रतिशत और राजस्थान में लगभग 10-15 प्रतिशत कम होने की आशंका है. हालांकि, उम्मीद है कि लगभग 18-20 लाख बोरी का अच्छा कैरी फॉरवर्ड स्टॉक है.'
इस साल जीरा का निर्यात भी कमजोर रहा है क्योंकि चीन में इसकी फसल अच्छी हुई है. भारत, चीन को सबसे ज्यादा जीरा सप्लाई करता है. उन्होंने कहा कि ट्रेड को उम्मीद है कि रमजान से पहले एक्सपोर्ट डिमांड बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल, जोधपुर और ऊंझा जैसी मंडियों में जीरा की कीमतें 18,500-19,500 रुपये की रेंज में चल रही हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि कमजोर कीमतों के कारण इस साल गुजरात में जीरे की खेती 20-22 प्रतिशत कम होगी.
चीन और बांग्लादेश जैसे देशों से कम एक्सपोर्ट डिमांड के कारण कीमतें कंट्रोल में रही हैं, जिससे कैरी फॉरवर्ड स्टॉक भी बढ़ गया है. स्पाइसेस बोर्ड के डेटा के अनुसार, अगस्त तक जीरे का शिपमेंट पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में लगभग छठे हिस्से तक कम था. मौजूदा वित्त वर्ष के अप्रैल-अगस्त की अवधि के दौरान जीरे का एक्सपोर्ट वॉल्यूम में 17 प्रतिशत कम होकर 92,810 टन रहा.
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