गेंदा भारतीय फूलों में अत्यंत लोकप्रिय है. इसकी खेती पूरे साल बहुत ही आसानी से की जाती है और मंडियों में पूरे वर्ष इसकी मांग बनी रहती है. यह बहुत मशहूर फूल है क्योंकि यह व्यापक रूप से धार्मिक अनुष्ठान और पूजा पाठ से लेकर सजावट तक में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कीटों को पकड़ने के लिए भी इसके पौधे का प्रयोग किया जाता है.
कम समय के साथ कम लागत की फसल होने के कारण यह भारत की लोकप्रिय खेती बन गई है. गेंदे के फूल का आकार और रंग काफी आकर्षक होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गेंदे की संख्या और साइज को बढ़ाने के लिए कौन सी खाद का इस्तेमाल करना चाहिए.
अगर किसान गेंदे की साइज और संख्या बढ़ाना चाहते हैं तो खेती करते समय गोबर की सडी खाद 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. इसके अलावा रासायनिक उर्वरकों में 200 किलो प्रति हेक्टेयर नत्रजन, 80 किलो फास्फोरस और पोटाश देने से फूलों का साइज बढ़ जाता है. दरअसल फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा को क्यारी की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए. वहीं नत्रजन की मात्रा को तीन बराबर भाग में बांट कर खेत में डालना चाहिए. एक भाग क्यारी की तैयारी के समय और दो भाग पौध रोपण से 30 से 60 दिनों के बाद डालना चाहिए. ऐसा करने से उत्पादन में वृद्धि होती है.
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गेंदे की खेती में गर्मी के मौसम की फसल मई महीने के मध्य से शुरू होकर बरसात के समय तक चलती है. लेकिन इसकी खेती में यह देखा गया है कि जून के महीने में इसमें सबसे अधिक फूलों का उत्पादन होता है. वहीं बरसात के मौसम की फसल में फूलों का उत्पादन सितंबर मध्य से शुरू होकर लगातार दिसंबर तक चलता है. साथ ही जाड़ा के मौसम की फसल जनवरी मध्य से शुरू होकर मार्च तक होता रहता है.
गेंदे के बीज चमकदार और काले रंग के होते हैं, जिन्हें एकेन कहते हैं. पौध तैयार करने के लिए हमेशा स्वस्थ और पके बीजों का ही चयन करना चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बीज बहुत ज्यादा पुराने न हों क्योंकि साल भर बाद बीजों के अंकुरण प्रतिशत में कमी आने लगती है. गेंदे के एक ग्राम बीज में औसतन 300-350 की संख्या में बीज होते हैं. गर्मी और वर्षा के मौसम में पौध तैयार करने के लिए 250-300 ग्राम बीज प्रति एकड़ और सर्दी के मौसम में 150-200 ग्राम प्रति एकड़ बीजों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में गेंदे की खेती करके किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.