'बाबा' की भविष्यवाणी पर फसल लगाते हैं यहां के किसान, उपज के दाम की भी मिल जाती है जानकारी

'बाबा' की भविष्यवाणी पर फसल लगाते हैं यहां के किसान, उपज के दाम की भी मिल जाती है जानकारी

बुलढाणा जिले के पूर्णा नदी के तट पर बसे भेंडवल गांव में पिछले कई वर्षों से घट-स्थापना की परंपरा पिछले 300 वर्षों से ज्यादा समय से जारी है. किसान इस घट-स्थापना में की गई भविष्यवाणी के आधार पर फसलों की खेती करते हैं.

भविष्यवाणी पर फसल उगाते हैं किसानभविष्यवाणी पर फसल उगाते हैं किसान
ज़का खान
  • Buldhana,
  • May 02, 2025,
  • Updated May 02, 2025, 4:28 PM IST

खुद की भविष्यवाणी सुनने की इच्छा हर तबके के लोगों को होती है. आज हम बात करते हैं ऐसे व्यक्ति की जिसने देश के हालात कैसे रहेंगे, बरसात कौन से महीने में कितनी होगी, इस साल कौनसी फसल अच्छी और ख़राब रहेगी इत्यादि भविष्यवाणी बुलढाणा जिले के छोटे से गांव में रहने वाले महाराज ने की है. पूरे वर्ष में हालत कैसे रहेंगे इसका अंदाज जताने का सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है.दरअसल, बुलढाणा जिले के पूर्णा नदी के तट पर बसे भेंडवल गांव में पिछले कई वर्षों से घट-स्थापना की परंपरा पिछले 300 वर्षों से ज्यादा समय से जारी है. वाघ परिवार की इस परंपरा को कई सालों पहले चंद्रभान महाराज वाघ ने शुरू किया था, जिसे आज भी वाघ परिवार चला रहा है.

कई वर्षों से सही हो रही भविष्यवाणी

किसानों का इस घट-स्थापना पर गहरा विश्वास है. विदर्भ का किसान इस घट-स्थापना में की जाने वाली भविष्यवाणियों पर बारीकी से नजर बनाए रखते हैं. किसानों के अनुसार घट-स्थापना में की जाने वाली भविष्यवाणियां पिछले अनेक वर्षों से सही साबित होती आई हैं. आज भी किसानों की फसल और बारिश के संबंध में भविष्य का आधार यही भविष्यवाणियां होती हैं और उनका विश्वास है कि ये सच ही होती हैं.

कई फसलें इस बार रहेगीं साधारण

इस वर्ष की भविष्यवाणी में स्वर्गीय चंद्रभान महाराज के वंशज सारंगधर महाराज ने फसलों और बारिश का अंदाज जताया है, इस बार जून में बारिश साधारण रहेगी, जुलाई अगस्त में अच्छी होगी और सितंबर में जोरदार बारिश के साथ ओलावृष्टि के आसार जताए हैं. वहीं, फसल इस बार साधारण रहेगी, जैसे तुअर की फसल ठीक रहेगी, ज्वार की फसल अच्छी रहेगी लेकिन उसमें मंदी रहेगी, उड़द की फसल ठीक-ठाक रहेगी, लेकिन दाम में बढ़ोतरी होगी. मूंग की फसल सहित इत्यादि फसल भी ठीक-ठाक रहेगी.

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देश की आर्थिक स्थिति नहीं रहेगी ठीक

देश की आर्थिक स्थिति के बारे में अंदाज जताते हुए कहा गया है कि देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहेगी. सारंगधर महाराज से पूछा गया कि युद्ध के आसार दिखाई पड़ते है क्या ? इस पर उन्होंने कहा कि, युद्ध के आसार फिलहाल तो नहीं है, लेकिन पृथ्वी पर संकट के आसार दिखाई दिए है, अगर युद्ध हुआ तो महायुद्ध जैसे हालात होंगे.

इस तरह किया जाता है घट-स्थापना

अक्षय तृतीया के दिन सूर्यास्त से पहले गांव के बाहर एक खेत में सारंगधर महाराज अलग-अलग वस्तुओं की स्थापना (घट-स्थापना) करते हैं. इसके तहत 18 अनाज रखे जाते हैं. इसमें गेहूं, ज्वार, तुअर, उड़द, मूंग, चना, जौ, तिल, भादली (एक खाद्य), करडी (तिलहन का एक प्रकार), मसूर, बाजरा, चावल, अंबाडी (एक प्रकार की भाजी), सरकी और बटाना गोलाकार में रखे जाते हैं.

इन वस्तुओं को गोलाकार रखने के बाद वस्तुओं के बीच में एक 1.5 फीट x 1.5 फीट गहरा गड्ढा बनाकर उसमें बारिश के चार महीनों के प्रतीक के रूप में मिट्टी के चार ढेले रखे जाते हैं. उस पर पानी से भरी गागर, गागर के ऊपर पापड, भजिया, वड़ा, सांडोली (एक महाराष्ट्रियन खाद्य पदार्थ), कुरडी (एक महाराष्ट्रियन खाद्य पदार्थ) रखे जाते हैं, जबकि नीचे पान के बीड़े में सुपारी रखी जाती है. बता दें कि यहां पान गद्दी का और सुपारी देश का राजा (प्रधानमंत्री) के प्रतीक हैं.

घट-स्थापना के बाद किसान करते हैं खेती

दूसरे दिन सूर्योदय के पूर्व इन सजाई गई वस्तुओं में हुए बदलाव के आधार पर आने वाले मौसम की फसलों और पानी के साथ ही देश की आर्थिक, राजनीतिक घटनाओं की भविष्यवाणियां की जाती हैं. इन भविष्यवाणियों के बाद ही बहुत से किसान तय करते हैं कि किस फसल को प्राथमिकता दी जाए.

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