कम लागत, अधिक मुनाफा, मसूर की खेती से पाएं बंपर पैदावार

कम लागत, अधिक मुनाफा, मसूर की खेती से पाएं बंपर पैदावार

कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं? जानिए मसूर की खेती का सही समय, बीज उपचार, उन्नत किस्में और पोषक तत्व प्रबंधन से जुड़ी पूरी जानकारी सरल हिंदी में.

मसूर की उन्नत खेतीमसूर की उन्नत खेती
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 20, 2025,
  • Updated Oct 20, 2025, 7:30 AM IST

अगर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो मसूर की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है. प्रोटीन से भरपूर यह फसल न केवल पोषण देती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है. सही समय पर बुआई, उन्नत बीजों का चयन और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर किसान मसूर की पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी कर सकते हैं. मसूर एक प्रमुख रबी फसल है, जो कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. आइए जानते हैं मसूर की बुआई, उन्नत प्रजातियां और पोषक प्रबंधन के बारे में.

बुआई का सही समय

  • मसूर की बुआई का समय क्षेत्र के अनुसार अलग होता है.
  • उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में बुआई करनी चाहिए.
  • उत्तर-पूर्वी और मध्य भारत में नवंबर के दूसरे पखवाड़े में बुआई उपयुक्त रहती है.
  • बुआई के लिए पंतनगर जीरोटिल सीडड्रिल मशीन का उपयोग करना ज्यादा फायदेमंद होता है. यह समय और मेहनत दोनों बचाता है.

बीज उपचार ज़रूरी

  • बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीज को बोने से पहले उपचारित करना जरूरी है.
  • थीरम 2.5 ग्राम या जिंक मैग्नीज़ कार्बोनेट 3.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें.
  • इसके बाद 10 किलोग्राम बीज को राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम कल्चर (200 ग्राम/पैकेट) से भी उपचारित करें.
  • यह उपचार उन खेतों में विशेष रूप से करें, जहां पहले कभी मसूर नहीं बोई गई हो.
  • फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया (PSB) का उपयोग करने से पौधों को फॉस्फोरस अधिक मात्रा में मिलता है, जिससे पौधे बेहतर बढ़ते हैं.

बीज की मात्रा

  • बीज की मात्रा भी उसकी प्रजाति पर निर्भर करती है:
  • बड़े दाने वाली किस्में: 55-60 किग्रा/हेक्टेयर
  • छोटे दाने वाली किस्में: 40-45 किग्रा/हेक्टेयर

मसूर की उन्नत किस्में

अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन जरूरी है. मसूर की कुछ प्रमुख उन्नत किस्में इस प्रकार हैं:

  • एलएल 1613, आईपीएल 230
  • पंत मसूर 12 (पीएल 245)
  • वीएल मसूर 150 (वीएल 150)
  • पूसा अगेती, पूसा वैभव, प्रिया, और शेरी

पोषक तत्व प्रबंधन

मिट्टी की जांच के आधार पर खाद और उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. सामान्यतः बुआई से पहले निम्न पोषक तत्वों की जरूरत होती है:

  • नाइट्रोजन: 15-20 किग्रा/हेक्टेयर
  • पोटाश: 20 किग्रा/हेक्टेयर
  • गंधक (सल्फर): 20 किग्रा/हेक्टेयर

अगर डीएपी उपलब्ध हो, तो 100 किग्रा डीएपी और 20 किग्रा सल्फर का प्रयोग करें.
सल्फर की पूर्ति के लिए 200 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
अगर खेत में नमी कम है, तो खाद की मात्रा को थोड़ा कम कर देना चाहिए.

मसूर की खेती अगर वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो यह किसानों को अच्छी आमदनी दे सकती है. सही समय पर बुआई, उन्नत बीज, उचित पोषण और बीज उपचार से मसूर की उपज को दोगुना किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: 

क्या असली शहद जमता है? किसान ने शिवराज सिंह चौहान को बताई अपनी पीड़ा, विशेषज्ञ ने दूर किया भ्रम
Stubble Burning: इस बार यूपी ने छोड़ा पंजाब को पीछे, पराली जलाने में सबसे आगे

MORE NEWS

Read more!