तेलंगाना के नलगोंडा जिले में किसान मौसम की मार से परेशान हो गए हैं. औसत से काफी काफी कम बारिश होने से जिले में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. इससे खेत में लगी धान की फसल लूखने लगी है. ऐसे में किसान सूखी फसल को मवेशियों को खिला रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते बारिश नहीं होती है, तो पूरी फसल चौपट हो जाएगी. इससे उनका बहुत अधिक आर्थिक नुकसान होगा. इसलिए सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना सरकार ने नागार्जुन सागर परियोजना में पानी की कमी के कारण फसल छुट्टियों की घोषणा की थी. हालांकि, कुछ किसानों ने बारिश की उम्मीद में धान की रोपाई जारी रखी. लेकिन औसत से काफी कम बारिश होने के चलते जिले में पानी की किल्लत हो गई. ऐसे में किसान धान की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं, जिससे खेत में खड़ी फसल सूख रही है. वहीं, कई किसानों ने सिंचाई के लिए बोरवेल का सहारा लिया, लेकिन इसके बावाजूद भी फसल सूख गई.
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एर्रागुडेम गांव के पी सैदुलु ने कहा कि मैंने तीन एकड़ में धान की खेती की थी और तीन बोरवेल खोदे थे, लेकिन पानी की कमी के कारण फसल सूख गई. उन्होंने पिछली सरकार की 24 घंटे मुफ्त बिजली योजना के दौरान बोरवेल में पानी के दुरुपयोग को भूजल स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया. मुनुगोडे मंडल के के उपेंदर रेड्डी ने तीन एकड़ में ताड़ के तेल के बागान होने की सूचना दी. 13 नए बोरवेल खोदने के बावजूद पानी नहीं मिला.
नलगोंडा जिला किसान संघ के अध्यक्ष बंदा श्रीशैलम ने बताया कि नलगोंडा जिले में 280,000 एकड़ में से इस सीजन में 180,000 एकड़ में धान की खेती की गई थी. उन्होंने कहा कि लगातार सूखे के कारण धान की 50 फीसदी फसल सूख गई है. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने सरकार से क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वेक्षण कराने और प्रति एकड़ 25,000 रुपये मुआवजा देने की मांग की है.
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बता दें कि बीते 5 मार्च को खबर सामने आई थी कि तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में पानी की किल्लत हो गई है. किसानों को फसलों की सिंचाई करने के लिए भी पानी नहीं मिल रहा है. कहा जा रहा है कि बारिश में गिरावट आने की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है. ऐसे में किसान पानी खरीद कर फसलों की सिंचाई कर रहे हैं. ऐसे में खेती में इनपुट लागत बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि सरकार को सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. नहीं तो किसान खेती से दूरी बना लेंगे.तिरुपुर जिले के उडुमलाईपेट तालुक के कई गांवों में किसान नारियल के पौधों को बचाने के लिए पानी खरीद रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में पूर्वोत्तर मानसून के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं हुई थी.