'सोलर फेंस' से बढ़ गई फसलों की उपज, जंगली जानवरों के आतंक से भी मिला छुटकारा 

'सोलर फेंस' से बढ़ गई फसलों की उपज, जंगली जानवरों के आतंक से भी मिला छुटकारा 

असम के कामरूप जिले के तहत आने वाले मिर्जा में तीन हेक्टेयर फसल क्षेत्र में खड़ी फसलों को जंगली हाथियों के हमले से बचाने के लिए किसानों ने एक कम लागत वाली सोलर फेंस इंस्‍टॉल की है. इससे पिछले कटाई के मौसम में किसानों की तरफ से धान की फसल को काफी बढ़ावा मिला है. गोसाईहाट गांव के स्थानीय समुदाय ने आरण्यक और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से बड़े फसल क्षेत्र की रक्षा के लिए सोलर फेंस को इंस्‍टॉल किया था. 

असम के कामरूप जिले में इंस्‍टॉल हुई सोलर फेंस असम के कामरूप जिले में इंस्‍टॉल हुई सोलर फेंस
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 30, 2024,
  • Updated Aug 30, 2024, 5:23 PM IST

असम के किसानों ने पिछले दिनों एक ऐसा तरीका अपनाया है जिससे न केवल उनकी फसल बढ़ गई है बल्कि उन्‍हें जंगली जानवरों के आतंक से भी छुटकारा मिला है. यहां के कामरूप जिले के मिर्जा में किसानों ने हाथियों से फसलों को बचाने के लिए सोलर फेंस का तरीका अपनाया. कम लागत वाली सोलर फेंस किसानों के लिए कई तरीके से फायदेमंद साबित हो रही है. इस सोलर फेंस की चर्चा यहां की स्‍थानीय मीडिया के अलावा आसपास के राज्‍यों में भी हो रही है. आपको बता दें कि कामरूप वह जिला है जहां पर हाथियों का झुंड अक्सर पूरी फसल को चौपट कर देता है. 

बड़े काम की कम लागत वाली फेंस 

मिर्जा में तीन हेक्टेयर फसल क्षेत्र में खड़ी फसलों को जंगली हाथियों के हमले से बचाने के लिए किसानों ने एक कम लागत वाली सोलर फेंस इंस्‍टॉल की है. इससे पिछले कटाई के मौसम में किसानों की तरफ से धान की फसल को काफी बढ़ावा मिला है. नॉर्थईस्‍ट न्‍यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार पलाशबाड़ी रेंज फॉरेस्ट के मलियाटा रिजर्व के पास गोसाईहाट गांव के स्थानीय समुदाय ने पिछले साल नवंबर में आरण्यक और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से बड़े फसल क्षेत्र की रक्षा के लिए एक कम लागत वाली सोलर फेंस को इंस्‍टॉल किया था. 

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जंगली हाथियों से बची फसल  

यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस ने भी आरण्यक की इस पहल को सपोर्ट किया है. आरण्यक टीम ने शुरू में गोसाईहाट के स्थानीय समुदाय को सोलर फेंस मैनेजमेंट और ऑपरेशन से जुड़ी ट्रेनिंग मुहैया कराई. आखिरकार कम लागत वाली सोलर फेंस को सफलतापूर्वक यहां पर इंस्‍टॉल कर दिया गया. इस फेंस ने जंगली हाथियों के झुंड से खड़ी फसल को एक तरह का सिक्‍योरिटी कवर प्रदान किया है. इसका नतीजा है कि किसान पिछले सीजन में 90 फीसदी फसल को काट सके. 

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पूरी फसल हो जाती थी खराब 

आरण्यक के अधिकारी और सोलर फेंस एक्‍सपर्ट अंजन बरुआ के हवाले से वेबसाइट ने लिखा, 'पहले, जब सोलर फेंस नहीं थी तो किसान मुश्किल से कुछ भी काट पाते थे क्योंकि जंगली हाथियों के झुंड खड़ी फसल को खा जाते थे और नष्ट कर देते थे.' गोसाईहाट के स्थानीय किसान सुकलेश्वर बोरो के घर में सोलर फेंस पावर मशीन लगाई गई है. पिछले सीजन में फसल की कटाई के बाद बोरो की अगुवाई में स्थानीय किसानों ने सोलर फेंस मशीन, सोलर पैनल के साथ पूरी फेंस को हटा दिया. साथ ही इसे अगले साल के लिए स्टोर कर लिया गया. 

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किसानों ने समझी अहमियत 

बोरो के मुताबिक, पिछले सीजन में वो जंगली हाथियों से अपनी फसलों की रक्षा कर पाए और अब उन्हें मौसमी सोलर फेंस की अहमियत का अहसास हो गया है. उन्होंने मशीनों और बैटरी के साथ-साथ फेंस के मैटेरियल की देखभाल करने की जिम्‍मेदारी ले ली है. पिछले कटाई सीजन में बहुत अच्छे नतीजे मिलने के बाद, स्थानीय किसानों ने इस साल बड़े क्षेत्र को कवर करते हुए मौसमी सोलर फेंस इंस्‍टॉल करने का फैसला किया है. इसमें हाथियों के हमले के खतरे के कारण पहले से खाली पड़े फसल क्षेत्र भी शामिल हैं. 

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हाथियों के लिए छोड़ी जगह 

अगस्त 2024 में गोसाईहाट के स्थानीय किसानों ने 10 हेक्टेयर फसल के खेतों की सुरक्षा के लिए कलेक्‍टेड मैटेरियल के प्रयोग से मौसमी सोलर फेंस लगाई. गांव के किसानों के एक ग्रुप ने करीब 10 हेक्टेयर फसल के खेतों की सुरक्षा के लिए बांस के खंभों का उपयोग करके एक किलोमीटर लंबी कम लागत वाली सोलर फेंस लगाने का काम किया. उन्‍होंने दो दिनों में यानी 20 से 22 अगस्त तक इस काम को खत्‍म कर लिया था.  बोरो के मुताबिक इस साल किसानों को इस सोलर फेंस की वजह से 100 फीसदी फसल की कटाई की उम्मीद है. हालांकि किसानों ने जंगली हाथियों की आवाजाही के लिए कुछ जगह छोड़ी है. 
 

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