भारत में श्री अन्न के तहत मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. मोटे अनाज में बाजरे की खेती का खूब बोलबाला है. भारत में बाजरा खरीफ की बहुत महत्वपूर्ण फसल है. इसकी खेती से भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन बाजरे की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर बोने के साथ-साथ उपयुक्त खाद देने की जरूरत होती है. ऐसे में किसानों के लिए ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि हाइब्रिड बाजरे की खेती में कौन-कौन सी खाद डालनी चाहिए. साथ ही इसके सही मात्रा के बारे में जानकारी होनी बेहद जरूरी है.
बाजरे की खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद ही करना चाहिए. वहीं, अनुमान के अनुसार बाजरा की हाइब्रिड किस्मों के लिए 80-90 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश की जरूरत होती है. फसलों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फॉस्फोरस-पोटाश की पूरी मात्रा लगभग 3-4 सेंमी की गहराई पर डालनी चाहिए. नाइट्रोजन की बची हुई मात्रा फसल अंकुरित होने के 4-5 सप्ताह बाद खेत में बिखेरकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए.
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इसके अलावा बाजरे की उपज को बढ़ाने के लिए थायोयूरिया 1 ग्राम 10 लीटर पानी का घोल बनाकर बुवाई के 30-35 दिनों बाद छिड़काव करने से उपज में 10-15 प्रतिशत वृद्धि बढ़ाई जा सकती है. इससे फसल में सूखा सहन करने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है.
बाजरे की खेती पूरी तरह से बारिश पर आधारित होती है. बाजरे की खेती कई प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. इसके लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे बेस्ट होती है. ऐसे में खेत को तैयार करते समय 20-22 टन सड़ी हुई गोबर खाद पहली जुताई के समय खेत में डालें. वहीं, अच्छी बारिश होने के बाद 2-3 बार हैरो चलाकर खेत तैयार करें और मिट्टी को समतल करें, जिससे बारिश के समय जल का निकास अच्छी तरह से हो सके. उसके बाद बाजरे की बुवाई कर दें.
बाजरे की फसल के लिए 4-5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है. इसकी बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए. पंक्तियों में बुवाई से फसल को कम पानी की जरूरत होती है और पौधे को सही मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं. बुवाई में 45 सेंमी पंक्ति से पंक्ति की दूरी और 10-12 सेंमी. पौधे से पौधे की दूरी रखनी चाहिए. साथ ही 2-3 सेंमी. गहराई पर बुवाई करनी चाहिए.
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