पशु आहार यानी चारा बनाने वाले निर्माताओं को उम्मीद है कि इस साल मक्का का उत्पादन बढ़ सकता है. उनका मानना है कि मक्का के उत्पादन में इस साल पांच से 10 फीसदी के बीच इजाफा हो सकता है. उन्होंने यह अनुमान इसलिए लगाया है क्योंकि किसान मोटे अनाज के तहत क्षेत्र का विस्तार कर सकते हैं. हाल के कुछ सालों में पशु आहार और इथेनॉल मैन्युफैक्चर करने वालों की तरफ से भी मक्का की मांग में इजाफा होता जा रहा है. मक्का पोल्ट्री समेत कई और जानवरों के आहार का एक अहम हिस्सा है. ऐसे में अगर उसका उत्पादन बढ़ता है तो निश्चित तौर पर चारा बनाने वाली कंपनियों को भी फायदा होने की संभावना है.
साल 2024-25 के दौरान तीनों फसल मौसमों - खरीफ, रबी और गर्मी - के लिए मक्का का कुल उत्पादन 42.28 मिलियन टन का रिकॉर्ड उच्च स्तर था. यह 2023-24 में 37.66 मिलियन टन से 12.26 प्रतिशत ज्यादा था. चालू खरीफ फसल सीजन में भी मक्का का रकबा 27 जून तक 23.69 लाख हेक्टेयर पहुंचने की उम्मीद है. अगर ऐसा होता है तो यह पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा होगा जोकि 21.35 लाख हेक्टेयर था.
अखबार बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार मक्के की ज्यादातर बुवाई कर्नाटक में हुई है. यह मक्का का एक प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है जहां पर समय पर हुई बारिश ने रोपण को बढ़ावा दिया है. कर्नाटक में पिछले पांच सालों के औसत केआधार पर मक्का के तहत सामान्य क्षेत्रफल 78.95 लाख हेक्टेयर है.
कंपाउंड लाइवस्टॉक मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) की चेयरमैन दिव्या कुमार गुलाटी ने कहा कि मक्का के रकबे में इजाफा होगा. यह बहुत ही तार्किक कदम है क्योंकि सरकार की तरफ से मक्का पर एमएसपी को बढ़ा दिया गया है और मक्का अब एक ऐसी नकदी फसल बन गया है जिसकी मांग किसानों में बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि किसानों को मालूम है कि मक्का की जरूरत 100 फीसदी तक है और खरीदार इसे खरीदने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
गुलाटी की मानें तो इस साल यानी 2025-26 में मक्का का कुल उत्पादन, तीनों सत्रों को मिलाकर, 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. वहीं केंद्र सरकार की तरफ से भी मक्का के लिए एमएसपी पर पूरे 7.8 प्रतिशत तक इजाफा किया गया है. पिछले साल किसानों को 2225 रुपये एमएसपी मिलती थी लेकिन इस साल यह 2400 रुपये तक हो गई है. गुलाटी के अनुसार CLFMA की तरफ से मक्का की फसल का सर्वे सैटेलाइट इमेजरी के जरिये कराया जाएगा. साथ ही जमीन पर भी इसका सर्वे होगा. जुलाई के पहले हफ्ते में यह फसल सर्वे शुरू होगा. मक्का पोल्ट्री सेक्टर के लिए एक बड़ा कच्चा पदार्थ है और यह लागत का करीब 60 फीसदी हिस्सा है.
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