मॉनसून की पहली बारिश के बाद खरीफ फसलों की बुआई का समय आ जाता है. इस समय कई किसान तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा लाभदायक मानी जाने वाली फसल, सोयाबीन की बुआई करते हैं. सोयाबीन सिर्फ तेल के लिए ही नहीं, बल्कि इससे सोया दूध, सोया पनीर, सोया बड़ी, आदि कई उत्पाद तैयार होते हैं, जिनकी बाजार में अच्छी मांग बनी रहती है. ऐसे में किसानों को सही किस्म और सही तकनीक अपनाकर बंपर उत्पादन लेना चाहिए.
अगर आप भी इस खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती करने जा रहे हैं, तो इन 5 किस्मों को जरूर आजमाएं. ये किस्में उन्नत बीजों में गिनी जाती हैं और इनसे 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है:
इन किस्मों का चयन करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि आपकी क्षेत्रीय जलवायु और मिट्टी के अनुसार कौन-सी किस्म सबसे उपयुक्त है. इसके लिए आप अपने जिले के कृषि विभाग से जानकारी ले सकते हैं.
हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग किस्में बेहतर परिणाम देती हैं. नीचे हमने क्षेत्र अनुसार कुछ प्रमुख किस्मों की सूची दी है.
उत्तर मैदानी क्षेत्र के लिए:
PK 416, PS 564, PS 1024, PS 1241, DS 9814
मध्य भारत के लिए:
NRC 7, ARC 37, JS 80-21, JS 93-05, JS 335
उत्तर-पूर्व भारत के लिए:
बिरसा सोयाबीन 1, प्रताप सोया, इंदिरा सोया
पहाड़ी क्षेत्रों के लिए:
पूसा 16, VL सोया 2, पालम सोया, हरा सोया, PS 1347
सिर्फ अच्छी किस्में ही नहीं, बल्कि सही तकनीक भी ज़रूरी है. नीचे दिए गए बिंदुओं का पालन कर किसान ज्यादा उत्पादन पा सकते हैं:
बारिश के मौसम में, जब कम से कम 100 मिमी बारिश हो चुकी हो, तभी बुआई करें. जून के अंत या जुलाई की शुरुआत इसके लिए सबसे उपयुक्त समय होता है. खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए. पानी भरा होने की स्थिति में तुरंत निकासी की व्यवस्था करें.
बीजों को 5 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं और कतार से कतार की दूरी लगभग 30 से 45 सेंटीमीटर रखें. बुवाई से पहले मिट्टी जांच कराएं और उसके अनुसार खाद डालें. जैविक खाद और सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखें. अगर आप सही समय पर बुआई करें, उन्नत किस्में चुनें और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करें तो सोयाबीन की फसल से आप 30 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, बाजार में सोयाबीन उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए यह खेती आर्थिक रूप से भी काफी लाभदायक है.
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