हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्का का आटा बाजार में उतारने जा रही है. इसे हिमभोग ब्रांड नाम से मार्केट में बिक्री किया जाएगा. नेचुरल तरीके से उगाई गई मक्का में कई पौष्टिक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जो सेहत को दुरुस्त रखने में मददगार है. हिमाचल सरकार ने कहा है कि हिमभोग आटा के लिए किसानों से मक्का की खरीद कर ली गई है.
हिमाचल सरकार नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है और इसके जरिए उगाई जाने वाली फसलों का दाम एमएसपी से अधिक किसानों को भुगतान किया जा रहा है. अब राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्के का आटा 'हिमभोग' ब्रांड नाम से लॉन्च करेगी. इसके लिए नेचुरल फॉर्मिंग विधि से उगाई गई 4,000 क्विंटल से अधिक मक्का की खरीद भी कर ली गई है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा सरकार जल्द ही प्राकृतिक खेती से उत्पादित मक्के के आटे को 'हिमभोग' ब्रांड नाम से लॉन्च करेगी. उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति और किन्नौर के आदिवासी जिलों को छोड़कर पूरे राज्य में प्राकृतिक खेती करने वाले 1506 किसान परिवारों से 4000 क्विंटल से अधिक मक्के की खरीद की गई है. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक खरीद 1140 क्विंटल सोलन जिले से की गई. उसके बाद चंबा से 810 क्विंटल और मंडी 650 क्विंटल मक्का खरीदी गई है.
आधिकारिक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं पर 40 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्के पर 30 रुपये प्रति किलोग्राम दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दिया है. बता दें कि सामान्य तरीके से उगाई गई मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2225 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. लेकिन, नेचुरल फार्मिंग विधि से उगाई गई मक्का के लिए हिमाचल सरकार एमएसपी से 775 रुपये प्रति क्विंटल अधिक दाम दे रही है. यानी 3000 रुपये प्रति क्विंटल कीमत पर मक्का की खरीद 25 अक्तूबर 2024 से की जा रही है.
हिमाचल प्रदेश सरकार 35000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है, जिससे 1.98 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं. साथ ही 1.5 लाख से अधिक किसानों को फ्री प्रमाणित किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती की उपज की मार्केटिंग सुविधा के लिए 10 मंडियों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. उन्होंने कहा कि राज्य की लगभग 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार किसानों को डायरेक्ट वित्तीय मदद देने की कई पहल शुरू कर रही है.