High Density Apple: कश्मीर के किसानों की तकदीर बदल रहा हाई डेंसिटी एप्पल, सीजन से पहले ही मिलने लगती है फसल

High Density Apple: कश्मीर के किसानों की तकदीर बदल रहा हाई डेंसिटी एप्पल, सीजन से पहले ही मिलने लगती है फसल

High Density Apple: जम्मू-कश्मीर में सेब की खेती में एक नई क्रांति जन्म ले रही है. कश्मीर में इससे पहले किसी ने नहीं देखा था कि सेब की फसल पहले साल से ही अच्छी पैदावार देने लगे. इस हाई डेंसिटी सेब की बाजार में भारी मांग है, क्योंकि अगस्त के महीने में ही ये सेब तैयार हो जाते हैं, जब भारत भर के बाजारों में सेब उपलब्ध नहीं होते हैं.

High Density AppleHigh Density Apple
अशरफ वानी
  • बड़गाम,
  • Aug 17, 2025,
  • Updated Aug 17, 2025, 6:54 PM IST

सघन सेब (High Density Apple) के बागानों ने न केवल जम्मू-कश्मीर में सेब उत्पादन में क्रांति ला दी है, बल्कि सेब की इस नई खेती पद्धति से सेब उत्पादकों की आय में भी दस गुना वृद्धि देखने को मिल रही है. हाई डेंसिटी एप्पल के प्लांटेशन से किसानों को फसल एक महीने पहले ही मिल जाती है जिससे उन्हें बाजार में बहुत ऊंचा दाम भी मिलता है. यही वजह है कि कश्मीर बहुत सारे किसान सेब की इसी फसल की ओर जा रहे हैं. इसी को लेकर हमारे संवाददाता अशरफ वाणी ने ग्राउंड जीरो पर जाकर हाई डेनसिटी एप्पल की खेती के फायदे जाने और किसानों से बात की है.

जल्दी सेब आने से मिलता है बढ़िया दाम

कश्मीर के बड़गाम जिले में हाई डेंसिटी एप्पल की खेती करने वाले एक किसान उद्दुलाद मोगरी ने इसके फायदे गिनाए. उन्होंने कहा कि इसमें बहुत जल्दी सेब निकलता है. हमने पिछली मई में लगाए थे और ये इसी अगस्त में तैयार हो गया है. यानी कि जो यहां का ट्रैडिशनल सेब है उससे पहले ही इसकी फसल मिल गई. यही वजह है कि इसका बाजार में बहुत अच्छा रेट मिल जाता है, 100 रुपये प्रति किलो तक आराम से मिलता है. गौरतलब है कि सेब उत्पादन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में 10 प्रतिशत का योगदान देता है और 35 लाख लोग जम्मू-कश्मीर में सेब की खेती से जुड़े हैं. जम्मू-कश्मीर में सालाना 25 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है.

कब होता है प्लांटेशन, कब आती है फसल?

हाई डेंसिटी एप्पल को लेकर एक दूसरे युवा किसान जिनका नाम आकिब भट्ट है, उन्होंने बताया कि ये हमने 2020 में शुरू किया था. इससे पहले हम ट्रेडिशनल सेब लगाते थे तो उसमें उतना फायदा नहीं होता था. लेकिन अब हाई डेंसिटी एप्पल में हमने बहुत अच्छा मुनाफा कमाया है. आकिब ने बताया कि हाई डेंसिटी एप्पल की एक कनाल में 150 पौधे लगते हैं. जबकि ट्रेडिशनल वाले में 1 कनाल में 10 प्लांट ही आते थे, यही वजह है कि उसमें इतना फायदा नहीं हो पाता था. आकिब भट्ट आगे बताते हैं कि हाई डेंसिटी एप्पल का अगर हम इस साल प्लांटेशन करेंगे तो अगल साल ये फल देने लगेंगे और अगले 15 सालों तक के लिए इन पौधों से फसल ले सकते हैं.

140 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा दाम

हाई डेंसिटी एप्पल की फार्मिंग से घाटी के किसानों की तकदीर बदल रही है. इससे पहले कश्मीर मे जिस तरह के सेब उगाए जाते थे उनमें फसल लगाने के 5 से 6 साल बाद फल आता था. लेकिन अब हाई डेंसिटी एप्पल प्लांटेशन से किसानों की बढ़िया कमाई हो रही है. चौंकाने वाली बात ये है कि इन खेतों में सेब की इसी साल प्लांटेशन हुई है और इसी साल फसल भी आ गई है, जो कि इससे पहले कभी नहीं हुआ. इस हाई डेंसिटी एप्पल से एक बड़ा फायदा ये भी है कि किसानों को एक महीना पहले, यानी अगस्त में ही पैदावार मिलने लगती है, जिससे बाजार में बहुतल अच्छा दाम मिलता है. सरकार ने भी इस बार हाई डेंसिटी एप्पल का न्यूनतम मूल्य 80 रुपये प्रति किलो तय किया है और इसमें 25 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है. माना जा रहा है कि इस वक्त किसानों इस सेब का बाजार में रेट 120 से 140 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा है.

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