जालना जिले में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. भारी बारिश से कई तहसीलों और गांवों में नदियां उफान पर हैं और खेतों में पानी भर गया है. नेर तहसील में गिरिजा नदी भी अपने किनारों से बाहर हो गई है. उफनते पानी से फसलें डूब गई हैं और खेतों में झील जैसा नजारा हो गया है. किसानों को फसल नुकसान की चिंता है. उन्होंने प्रशासन से तुरंत नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की मांग की है.
इसी तरह, भारी बारिश से मोतीघवन, वजहार सरकाटे, उमारी, धारा, एकलेहरा और रूई जैसे गांवों में भारी नुकसान हुआ है. खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गई हैं. जिले की नदियां और नाले उफान पर हैं और फसलों को काफी नुकसान हुआ है. कुंभेफल गांव में वाकी नदी में बाढ़ आ गई है. इससे गांव वालों की पानी की समस्या तो हल हो गई है, लेकिन नदी के उफान से मुख्य सड़क पर यातायात बाधित हो रहा है.
भारी बारिश से जालना शहर में भी भारी नुकसान हुआ. गांधी चमन कॉम्प्लेक्स में मालीपुरा इलाके में एक पुराने मंदिर की दीवार गिर गई. शुक्र है कि कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन आसपास गिरे पेड़ों से लोगों में दहशत है. शहर से होकर बहने वाली कुंडलिका नदी में फिर से बाढ़ आ गई है. बाढ़ का पानी अब मेन बस स्टैंड के पास पुल से ऊपर बह रहा है, जिससे ट्रैफिक बाधित हो गया है. वहीं, अंबाद तहसील के पिटोहरी सिरसगांव गांव में गालहाटी नदी का पानी गांव में घुस गया है. कई घरों के सामने पानी घुटनों तक जमा हो गया है, जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है.
इस बीच, अंबाड़ तहसील के बालेगांव गांव में भारी बारिश और तेज़ हवाओं ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है. कपास की फसलें पानी में डूब गई हैं, गन्ने की फसलें ज़मीन पर गिर गई हैं और सोयाबीन की फसलें सड़ गई हैं. इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. प्रभावित किसानों ने प्रशासन से तुरंत नुकसान का आकलन करने और उचित मुआवज़े की मांग की है. (गौरव विजय साली का इनपुट)
ये भी पढ़ें:
खेती में 'एआई' का जादू, जानिए कैसे बदल रही है किसानों की दुनिया
बिहार में शहद उत्पादन ने बढ़ाई आर्थिक खुशहाली, रोजगार के नए अवसर बने मधुमक्खी पालन