मेरी फसल, मेरा ब्योरा पोर्टल पर केवल 49 फीसदी जमीन रजिस्टर्ड, रबी सीजन के आंकड़ों में गिरावट

मेरी फसल, मेरा ब्योरा पोर्टल पर केवल 49 फीसदी जमीन रजिस्टर्ड, रबी सीजन के आंकड़ों में गिरावट

कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि सब्सिडी, इंसेंटिव और फसल नुकसान के मुआवजे जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सभी मौसम में उगाई जाने वाली फसलों के लिए एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है.

रबी की फसलों का रजिस्ट्रेशनरबी की फसलों का रजिस्ट्रेशन
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 08, 2025,
  • Updated Jan 08, 2025, 1:05 PM IST

हरियाणा में 'मेरी फसल, मेरा ब्यौरा' (MFMB) पोर्टल पर रबी सीजन के लिए जमीन और फसलों का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. इसके शुरू होने के करीब दो महीने बाद भी हरियाणा की खेती योग्य क्षेत्र का केवल 48.7 फीसदी ही रजिस्टर हो पाया है. बता दें कि मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज की बिक्री के लिए लाभ उठाने और अलग-अलग सरकारी योजनाओं तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाना है. दरअसल, 7 जनवरी तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य भर में 764,286 किसानों की ओर से 89,85,420 एकड़ में से 43,78,170 एकड़ कृषि योग्य जमीन रजिस्टर्ड की गई है.

MFMB पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना जरूरी

कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि सब्सिडी, इंसेंटिव और फसल नुकसान के मुआवजे जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सभी मौसम में उगाई जाने वाली फसलों के लिए एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है.

रजिस्ट्रेशन करवाने से हिचकिचा रहे किसान

एक अधिकारी ने बताया कि रबी सीजन 2024-25 के लिए रजिस्ट्रेशन 14 नवंबर से शुरू हो गया है, लेकिन अंतिम समय सीमा अभी तक घोषित नहीं की गई है. इसके बावजूद, कई किसान अपनी जमीन और फसलों का रजिस्ट्रेशन करवाने में हिचकिचा रहे हैं.

कुछ क्षेत्रों, खास तौर पर सरसों की खेती करने वाले क्षेत्रों में रजिस्ट्रेशन में अधिक भागीदारी देखी गई है, जबकि गेहूं और सब्जियां उगाने वाले किसान कम सक्रिय रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि छोटी जोत वाले कई किसान गेहूं को खुद के उपयोग या पशुओं के चारे के लिए रखते हैं और इसलिए रजिस्ट्रेशन से बचते हैं.

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सभी जिलों में इतना हुआ रजिस्ट्रेशन

रजिस्ट्रेशन करवाने में चरखी दादरी सबसे आगे रहा है, जहां 76.1 फीसदी कृषि योग्य जमीन रजिस्टर्ड है. इसके बाद महेंद्रगढ़ (69.6 फीसदी), भिवानी (64.2 फीसदी) और रेवाड़ी (62.7 प्रतिशत) है. करनाल में 38,567 किसानों ने 287,709 एकड़ भूमि रजिस्टर्ड की है, जिससे 55.8 फीसदी रजिस्ट्रेशन दर प्राप्त हुई. इसी तरह, सिरसा में 54.8 फीसदी क्षेत्र रजिस्टर्ड है, उसके बाद कुरुक्षेत्र में 54.7 फीसदी है.

वहीं, अन्य जिलों में अंबाला (52 फीसदी), फतेहाबाद (48.9 फीसदी), कैथल (48.5 फीसदी) और यमुनानगर (45.8 फीसदी) शामिल हैं. इसके अलावा हिसार (45.3 फीसदी), पानीपत (44.7 फीसदी), झज्जर (42.2 फीसदी) और रोहतक (38 फीसदी) जैसे जिलों में रजिस्ट्रेशन दर कम देखी गई. वहीं, सबसे कम प्रतिशत गुरुग्राम (36.5 फीसदी), पलवल (36.4 फीसदी), जींद (32.9 फीसदी), सोनीपत (32.6 फीसदी), मेवात (32.3 फीसदी), पंचकूला (32 फीसदी) और फरीदाबाद (13.8 फीसदी) में दर्ज किए गए.

किसानों को बताया जा रहा MFMB का महत्व

अधिकारी किसानों को रजिस्ट्रेशन के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए प्रयास तेज कर रहे हैं. कृषि उपनिदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने या फसल बेचने के लिए मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल पर जमीन और फसलों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. यहां कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, फसल विविधीकरण प्रोत्साहन और पराली प्रबंधन सहायता केवल रजिस्टर्ड किसानों को ही दी जाती है. इसके अलावा, किसी भी फसल के नुकसान की सूचना एमएफएमबी से जुड़े ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के माध्यम से दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जागरूकता फैलाने और किसानों रजिस्ट्रेशन को पूरा करने में सहायता करने के लिए गांव-वार टीमें तैनात की गई हैं. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद, टीमें सीजन के लिए सटीक डेटा सुनिश्चित करने के लिए किसानों के दावों का वेरिफिकेशन भी करेंगी.

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